
सावन का महीना घटाए घनघोर
सावन का महीना घटाए घनघोर बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर। प्रेम हिंडोले बैठी राधा प्यारी, झोटा
सावन का महीना घटाए घनघोर बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर। प्रेम हिंडोले बैठी राधा प्यारी, झोटा
हे प्रभु हे देवाधिदेव गजधर्म धारण करने वाले पार्वती वल्लभ हे परमेश्वर हे शंभु आपको बारंबार प्रणाम है प्रणाम हैं
गुरुअवतरण दिवस पर देखो, महक उठा संसार।गुरुवर वंदन करतें जाना, दूर हटे अँधकार।। भगवत भगवन मंत्र बताए, करना प्रतिदिन जाप।जीवात्मा
मुंशी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता, जिसके एक-एक शब्द को बार-बार पढ़ने को मन करता है- ख्वाहिश नहीं मुझेमशहूर
श्री गोपांगनाओं का आज का उल्लास जय जय श्री राधेमेरे गिनियो ना अपराध, लाड़ली श्री राधे, मेरे क्षमा करो अपराध
प्रेम में डूबा हुआ हृदय उतना ही पवित्र है जितना की गंगाजल में डूबा हुआ कलश
एक बांसुरी
हर जन से उसका नाता हैकोई पिता,पुत्र कोई पति बुलाता हैसुन सखी तू तर्क ना कर उसे भी तो रोना
ऐसा बरसे रंग यंहा पर, जन्म जन्म तक मन भीगेफागुन बिना चुनरिंया भीगे, सावन बीना बदन भीगेऐसा बरसे रंग यंहा
जय जय सियाराम जी आरूढ़ दिव्य रथ पर रावण,नंगे पद प्रभुवर धरती पर!तन वसनहीन शिर त्राणहीन,यह युद्ध अनोखा जगती पर!!उस
जपने वाले को ही मिलता भगवान हैं नाम जप का सुखद होता परिणाम है नाम जपना नहीं इतना आसान हैगुरु