
श्री भगवद अवतार चौबीसी
सनक सनंदन सनातन, चौथे सनत्कुमार। ब्रह्मचर्य धारण किया, हुआ प्रथम अवतार ।। वाराहरूप धरके प्रभु, हिरण्याक्ष को मार। पृथ्वी लाये
सनक सनंदन सनातन, चौथे सनत्कुमार। ब्रह्मचर्य धारण किया, हुआ प्रथम अवतार ।। वाराहरूप धरके प्रभु, हिरण्याक्ष को मार। पृथ्वी लाये
कंचन पिचकारी लाई , सावरिया सरकारहोली खेलन को गए , राधा जी के द्वारधूम मचाने रंग बरसाने , आये तेरे
इतना तो करना स्वामी, जब प्राण तन से निकले। गोविन्द नाम लेकर मेरे प्राण तन से निकले। श्री गंगा जी
जरा सिर को झुकाओ वासुदेव जी,तेरे सिर पे त्रिलौकी नाथ हैं, छुंऊ इनके चरण बङे प्रेम से, आज यमुना की
ब्रज में है रही जय जयकार,नंद घर लाला जायो है।लाला जायो है जसोदा ने लाला जायो हैब्रज में है रही
आयो श्याम , सखियों ने गाए मल्हार रसिया, बलिहार रसिया दिलदार रसिया, तेरे झूले पे जाऊं बलिहार रसिया 2) मोर
एक बार की बात है कि, सावन के इसी पुनीत महीने में प्रिया राधा जी, प्रिय श्यामसुन्दर से रूठ जाती
सावन का महीना घटाए घनघोर बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर। प्रेम हिंडोले बैठी राधा प्यारी, झोटा
हे प्रभु हे देवाधिदेव गजधर्म धारण करने वाले पार्वती वल्लभ हे परमेश्वर हे शंभु आपको बारंबार प्रणाम है प्रणाम हैं
गुरुअवतरण दिवस पर देखो, महक उठा संसार।गुरुवर वंदन करतें जाना, दूर हटे अँधकार।। भगवत भगवन मंत्र बताए, करना प्रतिदिन जाप।जीवात्मा