हे प्रभुवर हे वैदेही वर मुझको निज चरण बसा लीजै।
हे प्रभुवर हे वैदेही वर मुझको निज चरण बसा लीजै।पद कमलों का मैं मधुप बनूं कुछ मधुरस कण बरसा दीजै।।कितने
हे प्रभुवर हे वैदेही वर मुझको निज चरण बसा लीजै।पद कमलों का मैं मधुप बनूं कुछ मधुरस कण बरसा दीजै।।कितने
मेरे रामसुबह-सुबह मन की भावनाओं में राम-लखन को लाकर ख्यालों में गोता लगाएं… कलरव सर-सर करती बहती सरयू के घाट
हे राम मै तुम से एक प्रार्थना करती हूं राम भक्तो के हृदय में कैसे बसे है।राम बसे है भक्तो
रघुनाथ की शोभा देखन को तिहुं लोक की शोभा अवध चली।शोभित नगरी शोभित डगरी शोभित कोशल की कुंज गली।।शोभित पलकें
राम युग आया है राम मय हुआ जग सारायह इतिहास की गोरव गाथा की रचना हैराम मंदिर भारतीय समाज कीशांति
अयोध्या में आओ, दरश पाकर जाओतुम्हे राम जी ने बुलाया हुआ है राम नाम के दो अक्षरों की है महीमा
प्रिय सुखद संसार हो तुम प्रियतम पहला प्यार हो तुम।गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।
वास्तव में धनी कौन है जिसके पास प्रभू नाम है प्रभू की कृपा है नित्य स्वयं से पूछें कि कहीं
भजमन राम चरण सुखदाई,भजमन राम चरण सुखदाई ॥ जिहि चरननसे निकसी सुरसरिसंकर जटा समाई ।जटासंकरी नाम परयो हैत्रिभुवन तारन आई
राम बसे है निषाद के हृदय मेंराम बसे है केवट के परक्षलिन मेंराम बसे जटायु के कटे पंखों मेंराम बसे