हम दादी वाले हैं सुनो जी हम दादी वाले हैं
दीवाने हैं दादी के,हम तो मतवाले हैं हम दादी वाले हैं,सुनो जी हम दादी वाले हैं दादी जी की फ़ौज
दीवाने हैं दादी के,हम तो मतवाले हैं हम दादी वाले हैं,सुनो जी हम दादी वाले हैं दादी जी की फ़ौज
धीरे धीरे अँखियाँ माँ खोल रही है, लगता है मईया कुछ बोल रही है, दुनिया के नज़ारे तो बेजान लगते
सज धज कर बैठ्या दादी जी, क्यों बेठ्या बेठ्या मुश्कावे, चलो नजर उतरा मैया की कही आज नजर न लग
चौदस के दिन दादी, थारी ज्योत जगी चहुँओर, धोक लगाने मावश को, चालो केडधाम की ओर…. मावश का दिन है
दादी थारो मुखडो चाँद को टुकड़ो जाको कोई न जवाब रे, आंख्या काजल कारो लागे घणो प्यारो थारो रूप लाजवाब
देख कर शिंगार दादी मैं ठगा सा रह गया, मैं ठगा सा रह गया॥ सो सका न रात भर मैं
बाधो का जब जब माँ मेला आता है, प्रेम तुम्हारा हमको झुंझुन खींच लता है, आँखों में जब जब तेरा
प्राणा से भी प्यारो दादी जी थारो धाम, थारे चरना माहि माहरा चारो तीर्थ धाम, पालनहारी दादी पार लगावे, टाबरिया
कुलदेवी की पूजा जो करता है दिन रात, उसके जीवन में होती है खुशियों की बरसात, हर इक भगत की
जब जब घर में कोई संकट होता है, जब जब तेरा लाल कोई रोटा है, पल में मेरी दादी दौड़ी