थे म्हारे घरा आया धन्यवाद दादीसा
थे म्हारे घरा आया धन्यवाद दादीसा थारा टाबरिया ने दीज्यो आशीर्वाद दादीसा धन्य हुआ म्हे थारा दर्शन पाकर राखली थे
थे म्हारे घरा आया धन्यवाद दादीसा थारा टाबरिया ने दीज्यो आशीर्वाद दादीसा धन्य हुआ म्हे थारा दर्शन पाकर राखली थे
रोवे क्यों भगत तू हॉवे क्यों अधीर, दादी से केह दे तेरी मन रे प्रीत , दुःख देने वाली दुनिया
तर्ज यशोदा का नंदलाला झुंझनू से चिठी आई दादी जी ने भेजा है ल बोली बेटा मत घबराना जीवन अनमोल
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती थारे नाम की बुली चुन्दडी थारे मंगल पाठ मैं आती,
दादी जी थारो झुंझनू दरबार, भगतो की आह हर गम गूंजे थारी जय जय कार, दादी जी थारो झुंझनू दरबार,
सेवकियाँ में दादी माहरो नाम लिख ले, माहरी भी सेवा को थोड़ो स्वाद चख ले, चाकरी धनि ही मिली जावे
म्हाने चिंता है क्या की पड़ी म्हारे पग पग में दादी खड़ी म्हारी दादी की किरपा है बड़ी म्हारे पग
जय दादी की…जय दादी की… जय दादी की…जय दादी की… डंका जग की महारानी का बजता मोटी सेठानी का झुंझनू
फतेहपुर में धोली सती माँ का सच्चा दरबार है दादी का परिवार है,ये दादी का परिवार है बिंदल गोत्र की
मैया थारो रूप मन भायो जियो हरषायो, कुन माहरी मियां ने सजायो, बनड़ी सी लागे माहरी माँ सोहनी सोहनी लागे