रानी सती माँ झुंझन वाली
रानी सती माँ झुंझन वाली सांचो तेरो धाम, जपु नारायणी तेरो नाम, श्रधा के भाव से माँ करे जो तेरा
रानी सती माँ झुंझन वाली सांचो तेरो धाम, जपु नारायणी तेरो नाम, श्रधा के भाव से माँ करे जो तेरा
तेरा दाना खा खा कर माँ सारी उम्र गुजारी, खाले खाले झुँझन वाली दो रोटी हमारी, ऐसा घर सज जाये
हे दादी शती तेरे धाम पै बड़े गुंज रहे जयकारे जो एकबै तेरे दर पै आता खाली झोली कभी ना
सावन की रुत है आजा माँ, तेरा झूला प्यारा घलवाया, फूल बेला, गुलाबबसंती माँ रजनीगंधा से सजवाया, सावन की रुत
ओ मावड़ी थारी रूप की शोभा न्यारी, थारे नैनो की ज्योत निराली महारी मावड़ी, ओ मावड़ी थारी सती की महिमा
चलो रे भक्तों तुम दादी के द्वार दादी ने दर पे बुलाया है, जय भवानी भवानी जय भवानी जय अंबे…।
ओ दादी जी म्हाने प्यारो प्यारो लागे थारो नाम थारे द्वारे कईया आवा भगत करे अरदास जग से ठानी थाणे
कितनो बड़ो म्हारो भाग्य है दादी, थे म्हारी कुलदेवी, सगळा नै राजी राखिजो,ओ दादी म्हारी रानी सती | मोटी थे
मुझे इतना सा देदो वरदान माँ, तेरी चोकाथ पे निकले मेरे प्राण माँ, अंत समय जब आये मेरा मैया तू
तू कितनी सुन्दर है, तू कितनी प्यारी है, नहीं कोई तुझ जैसा, तू जग से न्यारी है, तू ममतामयी मईया,