
पार्वती बोली भोले से
पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बना देना, कोई भी देखे तो ये बोले क्या कहना भाई क्या कहना, जिसदिन
पार्वती बोली भोले से ऐसा महल बना देना, कोई भी देखे तो ये बोले क्या कहना भाई क्या कहना, जिसदिन
आरती करिए शिव शंकर की, उमापति भोले हरिहर की, चंद्र का मुकुट शीश पे सोहे, नाग की माला मन को
बम बम बोले भंडारी शिव शम्भू रुदर अवतारी, मैसेज भक्तो के पड़ के शिव हर लो पीड़ा सारी, भगवान कभी
ॐ महाकाल के काल तुम हो प्रभो, गुण के आगार सत्यम् शिवम् सुंदरम्, कर में डमरू लसे चंद्रमा भाल पर,
भोले का डमरू शिव का त्रिशूला, भोले ये का भक्ता राह है भुला, सावन के महीने भोले सबकी सुनते है,
मेरा शिव भोले भंडारी केलाश से चल के आ गया , मेरा नागा वाला बाबा केलाश से चल के आ
रखना सुहागन भोले भंडारी, हियँ धरि बंदऊँ मैं त्रिपुरारी, रखना सुहागन….. जब लगि गंग जमुन जल धारा, अचल रहे अहिवात
कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम पतित पावन जैसे मधु शिव रस नाम का घोल
लाड़ा तेरा गिठा नी ओ गौरजा, दाधा गज गज लमक रेहा, बुढ्डा बाबा नी ओ गौरजा जिदे नाल लगी तू
दुनिया में हो अलख जगावे जोगियां रे, डम डम डमरू भजावे जोगियां रे, मोह तम तारा नई हारा रुदर शंकर,