भोले सबकी सुनते है
भोले का डमरू शिव का त्रिशूला, भोले ये का भक्ता राह है भुला, सावन के महीने भोले सबकी सुनते है,
भोले का डमरू शिव का त्रिशूला, भोले ये का भक्ता राह है भुला, सावन के महीने भोले सबकी सुनते है,
मेरा शिव भोले भंडारी केलाश से चल के आ गया , मेरा नागा वाला बाबा केलाश से चल के आ
रखना सुहागन भोले भंडारी, हियँ धरि बंदऊँ मैं त्रिपुरारी, रखना सुहागन….. जब लगि गंग जमुन जल धारा, अचल रहे अहिवात
कल्पतरु पुन्यातामा, प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी, शिव चिंतन अविराम पतित पावन जैसे मधु शिव रस नाम का घोल
लाड़ा तेरा गिठा नी ओ गौरजा, दाधा गज गज लमक रेहा, बुढ्डा बाबा नी ओ गौरजा जिदे नाल लगी तू
दुनिया में हो अलख जगावे जोगियां रे, डम डम डमरू भजावे जोगियां रे, मोह तम तारा नई हारा रुदर शंकर,
बड़ी दूर से चल कर आया हु मेरे बाबा तेरे दर्शन के लिए, इक फूल गुलाब का लाया हु चरणों
भोले के चेले बड़े हैं अलबेले, भूति भोले की चढ़ा के कंधे कांवड़ उठा के, सब छोड़ के झगडे झमेले,
आजा आ मेरे भोले नाथ भक्त पुकारे तेरा. सुना है भोले भंडारी, झोली सबकी भरते, दूध और गंगा जल से
हरी हरी भांग का मजा ले जीये सावन में शिव की भुटटी पिया कीजिये, इसकी हर पति में अज़ब खुमार