हर सुहागिन के दिल का ये अरमान है(करवा चौथ )
हर सुहागिन के दिल का ये अरमान हैप्यारे पिया में बसी उसकी जान है पिया के लिए ही व्रत करती
हर सुहागिन के दिल का ये अरमान हैप्यारे पिया में बसी उसकी जान है पिया के लिए ही व्रत करती
जीवन की रूलाती घङीयो में, मिलता है प्यार तुम्हारा मुझे, कुछ चाह नहीं बाकी रहती, प्रभु आके तेरे दरबार मुझे
पधारो नाथ पूजा को हृदय मन्दिर सजाया है तुम्हारे वास्ते आसन विमल मन का बिछाया है। लिये जल नयन पात्रों
सांवरिया तेरी जोगन मै बन जाऊं।जोगन बनकर वन वन डोलू, तेरे ही गुण गांऊ। नीज उर की कंपित वीणा पर,
भारत में कई चमत्कारिक व दिव्य मंदिर हैं इन मंदिरों में अलग-अलग चमत्कार और अद्भुत चीज़ें व बातें होती रहती
वेदों का सद् उपदेश हैवेदों का सद् उपदेश है, सुनलो ध्यान लगाय। भव बन्धन दुर होता है,आत्म के ज्ञान से,प्रभु
कुछ दिनों पुर्व सभी साधकों से एक प्रश्न किया था !!प्रश्न था आत्मा, जीवात्मा, सूक्षम आत्मा, मुक्तात्मा *किसे कहते हैं
अन्तःकरण मे ज्ञान की ज्योति जगा कर देख। भीतर है सखा तेरा, जरा मन लगा के देख अन्तःकरण मे ज्ञान
खुद तो बाहर ही खड़े रहे, भीतर भेजा पांचाली को,यतिवर बाबा के चरणों में,जाकर अपना मस्तक रख दो । अर्धरात्रि
तेरे आंखों के दरिया का ,उतरना भी जरूरी था,मोहब्बत भी ज़रूरी थी,बिछड़ना भी ज़रूरी था । सब ज़रूरी है,निश्चित है,ज़रूरी