
देवता भी स्वार्थी थे दौड़े अमृत के लिए
देवता भी स्वार्थी थे दौड़े अमृत के लिए, हम सदा उनको भजेंगे जो जहर हंस के पिए, हम नमन उनको

देवता भी स्वार्थी थे दौड़े अमृत के लिए, हम सदा उनको भजेंगे जो जहर हंस के पिए, हम नमन उनको

तेरे हीरे मोती जड़े रह गए सब तेरे ख्याल बड़े रह गए तू जा सोया शमशानों में तेरे ऊंचे महल

माँ बाप के चरणों में , बसे तीर्थ सारे है वो सब कुछ पा जाते , जो इनके प्यारे है

मैं हर जन्म तेरी बेहना बनु तू हर जन्म मेरा बहियाँ बने, इक जन्म क्या सातो जन्म तेरा ही छाया

पीर लख दाता जी मेहर करो मैं दर तेरे ते आई होइ आ, मेरे गुण अवगुण न देखो जी मैं

पानी में नहाते हो सत्संग में नहाया करो खाए खाए तुमको सब जीवन बीत गया खाना तो खाते हो कभी

आओ घर को सजा दे गुलशन सा मेरे बाबोसा आने वाले है कलिया न बिछाना राहों में हम खुद को

अपनी बेहन के प्यार को भैया न बुलाना आ जाओ तुम भाई दूज पर दिल न मेरा दुखाना अपनी बेहन

भगवान बचा लो आ कर के अब और सहारा कोई नही अब तेरे सिवा इस दुनिया में प्रभु और हमारा

सत्य बोल नित प्राणी सत्ये निष्ठ बन प्राणी सत्ये ही परमेश्वर है सतय ही सुख है, सत्ये ही जीवन है