लीले घोड़े रा असवार | रुणिचा बाबा रामदेव भजन
लीले घोड़े रा असवार करां थारी मनवार बाबा म्हारे घरां आवो जी आवो न बाबा,म्हारे घरां आवो जी काना में
लीले घोड़े रा असवार करां थारी मनवार बाबा म्हारे घरां आवो जी आवो न बाबा,म्हारे घरां आवो जी काना में
झोली तो भर गई है नियत भरी नहीं है, बेसबर बंदे तेरी कश न मिटि नहीं है, झोली तो भर
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया गाडी निकल गयी
जग में जो मेरी अच्छी पहचान है पापा ये मुझ पर तेरा एहसान है भगवान से पहले पापा तुझको सिस
खेतरपाल दा कहंदा गुलाम आ गया, खेतरपाल नाल लाइया मजा आ गया, खेतरपाल दा कहंदा गुलाम आ गया, बाबा साहब
अग्रसेन महाराज जी तुम्हे लाखों प्रणाम, लाखो प्रणाम तुम्हे लाखो प्रणाम, अग्रसेन महाराज जी तुम्हे लाखों प्रणाम तुझबीण कौन हमारा
हे नाथ अब तो ऐसी दया होजीवन निरर्थक जाने न पाये।यह मन न जाने क्या क्या दिखाएकुछ बन ना
सबसे बड़ी सरकार तेरी, सबसे बड़ी सरकार तेरा रुणिचा दरबार तेरी हो रही जय जयकार हमने तो लिख दिया है
म्हारी मैया म्हाने थारो ही आधार रे माँ भंवरा वाली थारो ही आधार रे मैं जाऊं तो मैं जाऊं कठे
एक तमन्ना माँ है मेरी दिल में बसा लूँ सूरत तेरी हर पल उसीको निहारा करूँ मईया मईया मुख से