विविध भजन (Vividh Bhajan)

पिंजरा निकालना बाकी है

पिंजरा निकालना बाकी हैनिकाल लाया हूँ एकपिंजरे से मैं एक परिंदापरिंदे के तनहा दिल सेपिंजरा निकालना बाकी है परिंदे तेरा

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पूर्ण माहि रहना रे साधो

पूर्ण माहि रहना रे साधोयही सत्गुरु का कहना रे साधोपूर्ण माहि रहना पूर्ण ज्ञान स्वयं परकाशीकाटे नाम रूप की फांसीसहज

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आशा रख पगली वो आयेंगे,

क्यों धीरज खोये जाती है वह आयेंगे आयेंगे,आशा रख पगली वो आयेंगे,हरी आयेंगे हरी आयेंगे,आशा रख पगली वो आयेंगे, हर

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काश तुम आते

आंखें बेचैन हुई, दिल में बुझ गई आस हैजीवन मेरा संघर्ष बना, डूब रही पतवार हैखत मैंने लिखे, उनका ना

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