
हमें कुछ दो न दो भगवन !
हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देनातुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे
हमें कुछ दो न दो भगवन ! कृपा की डोर दे देनातुम्हारी हो जिधर चर्चा , हृदय उस ओर दे
सर्वज्ञ, तृप्त, परिपूर्ण, निस्पृह करता है तुम्हारा सामीप्य सांवरेमैं पृथ्वीलोक से उठकर कर आती हूं परिक्रमासत्यलोक, क्षमालोक और शुचिलोक तक
चिंता छोङ दे रे इंसान,तेरे रक्षक है भगवान,श्याम श्याम राधे श्याम,राधे राधे राधे श्याम ! पल-पल ये है ध्यान रखते,कदम-कदम
अजब तेरी रघुराई गजब तेरी है मायाजीवन बीत गया तुझको ना समझ पायाअजब तेरी रघुराई गजब तेरी है माया पंचभूतो
मोहे प्रेम का अमृत पिला दो प्रभु जीवन नैया डगमग डोले, व्याकुल मनवा पी पी बोले । इस नैया को
बसाले श्याम मुझे अधरों पर तो बंशी बन मै बजती रहुं।लगु तेरे होठों से तो मै प्रेम रस पीती रहुं।अगर
श्री कृष्णःशरणं ममजय श्रीकृष्ण श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,हे नाथ नारायण वासुदेवाय !!! मारने वाला हैं भगवानबचाने वाला हैं भगवानबाल न
तेरे नाम से जी लू तेरे नाम से मर जाऊँऐसा वर दो हर गयारस को तेरे दर्शन पाऊँजब भी मैं
हे प्राणधन कान्हा प्रियकान्त प्यारे जु सुनो, माधव छू लूँ तुझे या ,तुझ में ही बस जाऊँ कोई तो ऐसा
केवल तुहें पुकारूँ प्रियतम ! देखूँ एक तुहारी ओर।अर्पण कर निजको चरणोंमें बैठूँ हो निश्चिन्त, विभोर॥ केवल तुहें पुकारूँ प्रियतम