जिंदगी में हजारो का मेला जुड़ा
जिंदगी में हजारो का मेला जुड़ा, हंस जब भी उड़ा अकेला उड़ा, राज राजा रहे न वो रानी रही, न
जिंदगी में हजारो का मेला जुड़ा, हंस जब भी उड़ा अकेला उड़ा, राज राजा रहे न वो रानी रही, न
करले रे मन सच्चे प्रभु का तू वंदन, मात पिता सा दूजा नहीं कोई भगवान, करले रे मन सच्चे प्रभु
सब कुछ मिलता जाता है माँ बाप नहीं मिलते, ज़िंदगी भर पछताते जो कदर नहीं करते, माँ बाप से बढ़
कोई माँ तेरे जैसे दौलत नहीं है, जरा सी भी तुझमे नफरत नहीं है, कोई माँ तेरे जैसे दौलत नहीं
इतरा ना इतना बंदे दो दिन की जिन्दगानी, पानी का है बुलबला हो जाए फिर रवानी, जीवन में करले अच्छे
जे चले हो सरहन्द नूं मेरे प्यारियो, मेरे लाला दे नाल रहके रात गुजारियो, जद हवा चलेगी ठंडी तन नु
इक सांस आये रे,इक सांस जाए रे जियरा भी पास में फसता जाए रे । सांस पहर बन ढलता जाए,
मैं रोनी आ तेरे करके तू आया बाद मुद्ता दे, आ बैठ सामने जग तू, ख़ुशी विच ढुल पये अपने,
प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए प्रेमियों ने जो बनाया बन गए प्रेम के बंधन में मोहन बंध गए
तेरी पनाह में हमे रखना, सीखे हम नेक राह पर चलना। कपट कर्म चोरी बेईमानी, और हिंसा से हमको बचाना,