तेरे हथ विच डोर मालका
तेरे हथ विच डोर मालका तेरे हथ विच डोर, मुश्किल दे इस समय अन्दर दिसदा न कोई होर, मालका तेरे
तेरे हथ विच डोर मालका तेरे हथ विच डोर, मुश्किल दे इस समय अन्दर दिसदा न कोई होर, मालका तेरे
माँ बाप की इस कलयुग में किस तरह कटे जिंदगानी वो बेटा क्या बेटा है जा ने माँ की कदर
जो कर्म कर रहे हो वहां सब हिसाब है जैसा करोगे पाओगे सीधा जबाब है। जब आ गए संसार मे
मेरे दाता के दरबार में, है सब का खाता जितना जिसके लिखा भाग्य में, वो उतना ही पाता रे पाता
नगर उज्जैन के राजा भरथरी हो घोड़े असवार |एक दिन राजा दूर जंगल में खेलन गया शिकार | विछड गए
नाम जपन क्यों छोड़ दियां क्रोध न छोड़ा झूठ न छोड़ा सत्ये वचन क्यों छोड़ दियां, झूठे जग में दिल
ओ भैया प्यारे रोये राखी का धागा ओ भैया कहा है तू आजा , ये बेहना याद करे आजा ओ
प्रभु हम पे कृपा करना, प्रभु हम पे दया करना । बैकुंठ तो यही है, हृदय में रहा करना ॥
दीन बंधू दीनानाथ मोरी सुध लीजिये दीनो के दयालु दाता मोपे दया कीजिये भाई नहीं बन्धु नाही कुटुंब कबीलों नाही
तेरी बातें ही सुनाने आये दोस्त भी दिल ही दुखाने आये फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं तेरे आने