
पूर्ण माहि रहना रे साधो
पूर्ण माहि रहना रे साधोयही सत्गुरु का कहना रे साधोपूर्ण माहि रहना पूर्ण ज्ञान स्वयं परकाशीकाटे नाम रूप की फांसीसहज

पूर्ण माहि रहना रे साधोयही सत्गुरु का कहना रे साधोपूर्ण माहि रहना पूर्ण ज्ञान स्वयं परकाशीकाटे नाम रूप की फांसीसहज

मन तड़पत हरि दरशन को आज ॥मोरे तुम बिन बिगड़े सकल काज ।आ विनती करत हूँ रखियो लाज ॥ मन

मुरलिया करत हिया में झंकार।अधर धरै जब कृष्ण कन्हैयाबाजत दिल के तार।मुरलिया करत हिया में झंकार तान धरै जब जब

कई जन्मों से बुला रही हु कोई तो रिश्ता जरूर होगा॥नज़रो से नज़ारे मिला ना पायी मेरी नज़र का कसूर

क्यों धीरज खोये जाती है वह आयेंगे आयेंगे,आशा रख पगली वो आयेंगे,हरी आयेंगे हरी आयेंगे,आशा रख पगली वो आयेंगे, हर

यह जिस्म तो किराये का घर है,एक दिन खाली करना पड़ेगा।सांसे हो जाएँगी जब हमारी पूरी यहाँरूह को तन से

आंखें बेचैन हुई, दिल में बुझ गई आस हैजीवन मेरा संघर्ष बना, डूब रही पतवार हैखत मैंने लिखे, उनका ना

आज सखी पिया आये मोरे अँगनाटूट गयी चूड़ी खनक गयो कँगनाआज सखी ….. सजना संग मेरी प्रीत पुरानीप्रीत सजन मोहे

बरसा दाता सुख बरसा,आँगन आँगन सुख बरसा,चुन चुन कांटे नफरत के,प्यार अमन के फूल खिला।तन से कोई है दुखी,मन से

एक दीन द्वारे आया हैं, एक दास द्वारे आया हैं हरि दीन तो गया अब सांझ भई, चहुंओर अंधेरा छाया