विविध भजन (Vividh Bhajan)

आये अनुपम सुखद सवेरा

लय-स्वर पर नाचे मन मेराअन्दर का कर दूर अंधेराआये अनुपम सुखद सवेरा माता सरस्वती, माता सरस्वती, वीणा के सब तार

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कितना दिया, दे रहे कितना, इसका मिलता ओर-न-छोर।

दिन-रजनी, तरु-लता, फूल-फल, सूर्य-सोम, झिलमिल तारे।प्रतिपल, प्रति पदार्थमें तुम मुझको देते रहते प्यारे॥ कितना दिया, दे रहे कितना, इसका मिलता

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मन की एकाग्रता

हम जो भी कर्म करते हैं मन की एकाग्रता सेचाहे खाना बनाए,पढ़ाई करें,कपड़े धोए,या कोई गेम खेले,,ये इतनी बड़ी-बड़ी फैक्ट्री

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आरती होना

आरती आना,आरती करना और आरती होने में फर्क है।आप कहोगे मै पागल तो नही हो गया हु।मै देखता हूं लोगो

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