विविध भजन (Vividh Bhajan)

जगदीश हरे जगदीश हरे

निर्बल के प्राण पुकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे। श्वासों के स्वर झंकार रहे, जगदीश हरे जगदीश हरे ॥ आकाश

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वेदों का सद् उपदेश है

वेदों का सद् उपदेश हैवेदों का सद् उपदेश है, सुनलो ध्यान लगाय। भव बन्धन दुर होता है,आत्म के ज्ञान से,प्रभु

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