
मन के हारे हार है मन के जीते जीत
मन के हारे हार है मन के जीते जीत, मन ले जावे बैकुंठ में मन करावे फ़जीत, मैं जानिया मन

मन के हारे हार है मन के जीते जीत, मन ले जावे बैकुंठ में मन करावे फ़जीत, मैं जानिया मन

हंस्लो मित्र कोनी थारो ए भोली काया तू जाणे काया में ठग राख्यो यो हंस्लो आप ठगोरो ए अमर लोक

लगी ना गरीबा नाल लगी ना अमीरा नाल, ऐसी लगी माँ मेरी लग गई फकीरा नाल, ऐसी लगी माँ मेरी

की दम दा भरोसा यार, दम आवे ना आवे । इस जीवन दे दिन चार, दम आवे ना आवे ॥

क्या वह स्वभाव पहला सरकार अब नहीं है, दीनों के वास्ते क्या दरबार अब नहीं है या तो दयालु मेरी

ਭਗਤੋ ਮੇਲਾ ਆਇਆ ਬਾਬੇ ਸੋਢਲ ਦਾ ਦਰ ਫੂਲਾ ਨਾਲ ਸਜਾਇਆ ਬਾਬੇ ਸੋਢਲ ਦਾ ਸ਼ਹਿਰ ਜਲੰਧਰ ਜਲ ਦੇ ਅੰਦਰ, ਸੋਹਣਾ ਤੇਰਾ

बातों को कर लो बंद, कथा ग्यारस की सुन लो जी, बिना पुत्र का बाप, खेतों में रोवेजी मेरे हका

भादुड़ी री दूज रो जड़ चंदो करे प्रकाश रामदेव बन आवसु राखीजो बिस्वास पिछम धरासू म्हारो आलम राजा आवे रे

भाव का भूखा हूँ मैं, बस भाव ही इक सार है। भाव से मुझ को भजे तो, भव से बेडा

किवे किवे समझांवा इस मन पापी नू पापी नु,किवे किवे समझांवा इस मन पापी नू जे मेरा मन लकड़ी होवे