
अब वे आते ही होंगे ।
अब वे आते ही होंगे । देखो न, वह आ रहे हैं फरफराता हुआ पीताम्बर, मन्द-मन्द पदविन्यास, हाथमें बांसुरी, मेघश्याम

अब वे आते ही होंगे । देखो न, वह आ रहे हैं फरफराता हुआ पीताम्बर, मन्द-मन्द पदविन्यास, हाथमें बांसुरी, मेघश्याम

।।श्रीहरिः।। रासलीला के श्रम से व्यथित राधाजी की भगवान् द्वारा यह सेवा किए जाने के कारण इस स्थान का नाम

गतांक से आगे – दिव्य भूमि है जनकपुर धाम की , अत्यन्त कोमल भूमि है …विशाल सरोवर हैं …अनेक सरोवर

जीवन का आनंद देने में है, लेने में नही।मनुष्य तो मनुष्य सभी जीव जंतु यहां तक कि पेड़ पौधे भी
आज का आध्यात्मिक विचार ब्रज रज की महिमा संसार एक रज के समान है जो पल पल जिसका झड़ना हो

एक बार कान्हा जी एक गोपी के घर में चोरी से गए और कमरे के बीचोंबीच एक मटकी में माखन

एक रसिक संत हुए श्री बिहारीदास जी। मथुरा की सीमा पर ही भरतपुर वाले रास्ते पर कुटिया बनाकर भजन करते

मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता

भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं कि केवल मूर्ति में मेरा दर्शन करने वाला नहीं अपितु सारे संसार में प्रत्येक

‘एक समय सेठ पुरुषोत्तम दास झारखंड में मंदार मधुसूदन ठाकुर जी के मंदिर में थे। यह मंदिर मंदार पर्वत के