सत्संग से जीवन में पवित्रता आती है
आज का प्रभु संकीर्तन।सत्संग की बहुत महिमा है, सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
आज का प्रभु संकीर्तन।सत्संग की बहुत महिमा है, सत्संग तो वो दर्पण है जो मनुष्य के चरित्र को दिखाता है
– इन 11 संकेतों से कर सकते हैं आभास दुनिया में बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें उनके जीवन में
भगवान को प्राप्त करने के सभी साधनों में ‘शरणागति’ सबसे सरल साधन है। साधारण भाषा में शरणागति का अर्थ मन,
आज का प्रभु संकीर्तन#।।हम सभी जानते और कहते हैं कि प्रत्येक कार्य करते समय ईश्वर को सदैव याद रखे।किन्तु परिस्थिति
राधे राधे ,,,एक बार निकुंज में स्वामिनी जू के मन इच्छा जाग्रत हुई कि प्रियतम चलो लुका-छिपी खेलेंगे ,खुला मैदान
उत्तर :- परम्परा हैं किकिसी भी मंदिर में दर्शन के बादबाहर आकर मंदिर की पैड़ी याऑटले पर थोड़ी देर बैठना।
बात बहुत पुरानी नहीं है- वृन्दावन में गोस्वामी बिंदुजी महाराज नाम के एक भक्त रहते थे। वे काव्य रचना में
मन्दिर में सगुण साकार की पुजा की जाती है हम मन्दिर में जाकर सभी भगवान के सामने धुप दिपक जलाते
आज का प्रभु संकीर्तन।सत्संग बहुत दुर्लभ है और जिसे सत्संग मिलता है उस पर ईश्वर की विशेष कृपा होती हैं।बिनु
“यशोदा मुक्तिगेहिनी”-कठोपनिषद3 भगवान की कृपा शक्ति व श्रम का आश्रय लेकर यशोदा रूपी मुक्ति ने प्रभु को बाँध लिया। बिना