
सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है
सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है इसलिए जो कुछ करना है अब ही

सच्ची भक्ति और परमेश्वर की प्राप्ति इसी जन्म में ही हो सकती है इसलिए जो कुछ करना है अब ही

हनुमान जी की मान्यता पर विचार करें, इस जगत में जितने पूजाघर हैं, सबसे अधिक हनुमान जी के हैं। सबसे

एक छोटा बच्चा माँ की उंगुली पकड़कर मेले में जा रहा था। एक जगह रंग- बिरंगी मिठाई देखकर बच्चे ने

अब वे आते ही होंगे । देखो न, वह आ रहे हैं फरफराता हुआ पीताम्बर, मन्द-मन्द पदविन्यास, हाथमें बांसुरी, मेघश्याम

।।श्रीहरिः।। रासलीला के श्रम से व्यथित राधाजी की भगवान् द्वारा यह सेवा किए जाने के कारण इस स्थान का नाम

गतांक से आगे – दिव्य भूमि है जनकपुर धाम की , अत्यन्त कोमल भूमि है …विशाल सरोवर हैं …अनेक सरोवर

जीवन का आनंद देने में है, लेने में नही।मनुष्य तो मनुष्य सभी जीव जंतु यहां तक कि पेड़ पौधे भी
आज का आध्यात्मिक विचार ब्रज रज की महिमा संसार एक रज के समान है जो पल पल जिसका झड़ना हो

एक बार कान्हा जी एक गोपी के घर में चोरी से गए और कमरे के बीचोंबीच एक मटकी में माखन

एक रसिक संत हुए श्री बिहारीदास जी। मथुरा की सीमा पर ही भरतपुर वाले रास्ते पर कुटिया बनाकर भजन करते