
भक्त नरसी मेहता चरित (01)
(एक भक्त ऐसा भी जिनके कार्य हेतु स्वयं भगवान् को 52 बार प्रकट होकर कार्य पूर्ण हेतु आना पड़ा )
(एक भक्त ऐसा भी जिनके कार्य हेतु स्वयं भगवान् को 52 बार प्रकट होकर कार्य पूर्ण हेतु आना पड़ा )
गुजराती साहित्य के आदि कवि संत नरसी मेहता का जन्म 1414 ई. में जूनागढ़ के निकट तलाजा ग्राम में एक
|| श्री हरि: || व्रजराज भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम होने में ही इस जीवन की सार्थकता है |
कक्षा
: श्रद्धाअर्थात मन-बुद्धि हृदय से इष्ट एवंभजन में स्वीकृति कक्षा
: वैष्णव संगभजन करने वालों के
।।श्रीहरिः।। संत पुरूष कहते हैं कि पुत्री हो तो करमैती बाई जैसी। राजस्थान के सीकर जिले की खंडेला निवासी भक्त
बचपन से आप सुनते आये होंगे कि जब-जब धरती पर अत्याचार बढ़ा, तब-तब भगवान ने किसी ना किसी रूप में
।।संतों, भक्तों और विप्रों की पहचान किसी प्रकारके वेषादि से नहीं की जा सकती है।संतों, भक्तों और विप्रों की पहचान
Thursday, 08 December 2022 आज गोपाल पाहुने आये निरखे नयन न अघाय री ।सुंदर बदनकमल की शोभा मो मन रह्यो
गत पोस्ट से आगे ………….एक दिन की बात है, सभी भगवान् के गुण और प्रभाव की बातें करने लगीं, उसी
|| श्री हरि: || व्रजराज भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम होने में ही इस जीवन की सार्थकता है |