नाम धार कर मौन हो जन राधे भगवान
नाम धार कर मौन हो जन राधे भगवान ;*बीज गुप्त रह भूमि मे बनता वृक्ष महान !एकदा एक बालक ने
नाम धार कर मौन हो जन राधे भगवान ;*बीज गुप्त रह भूमि मे बनता वृक्ष महान !एकदा एक बालक ने
एक “शब्द”अगर इसे लोगो से पूछा जातातो जबाब क्या होता “प्रेम क्या है..?”लओत्सो———-प्रेम एक ध्यान हैजिस में केन्द्रित हो जाओ.!
प्रथम तो मनुष्य जन्म मिलना; क्योंकि यह देव-दुर्लभ है। देवयोनि भोग-योनि है जब तक पुण्य-कर्मों का फल शेष है, देवयोनि
परमात्मा न सबको कुछ न कुछ दिया है,किंतु कुछ लोग धन दौलत मिलने से खुश रहते है।जबकि उनके भीतर आंतरिक
मनुष्य जीवन को सुरक्षित कर लेना चाहता है,जो कि सुरक्षित हो ही नहीं सकता क्योंकि मौत सब कुछ छीन लेगी।सभी
भगवान की पूजा करने के लिए शारीरिक पवित्रता से ज्यादा जरूरी है मन की पवित्रता। पढ़िए यह किस्सा: रामकृष्ण परमहंस
भारत ही एक ऐसा देश हैं जहां एक से ज्यादा जाति, धर्म, समुदाय, लिंग, पंथ आदि के लोग मिलजुल कर
परिक्रमा मंत्र—:परिक्रमा शुरू करने से पहले आप इस मंत्र को एक बार संस्कृत या हिंदी में बोल सकते हैं-: “ऊँ
प्रेम आत्मा को परमात्मा से जोड़ने वाली कड़ी है। प्रेम अलौकिक तत्व है और विशुद्ध प्रेम केवल परमात्मा के साथ
अनेकों जन्म मरण के चक्र से होते हुए जीव को मनुष्य योनि मिलती है।मनुष्य योनि जीव के कल्याण हेतू होती