
सतसंग से ही जीवत्मा
का कल्याण होता है..
एक बार शुकदेव जी के पिता भगवान वेदव्यास जी महाराज कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक
एक बार शुकदेव जी के पिता भगवान वेदव्यास जी महाराज कहीं जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक
.एक व्यक्ति की नई नई शादी हुई और वो अपनी पत्नि के साथ वापिस आ रहे थे !.रास्ते में वो
ठाकुर जी के हस्ताक्षर जो भक्त का रूप धारण कर के न्यायालय में किये , आज भी उसकी प्रतिलिपि भगत
सूरध्वज ब्राह्मण वंशी राजा मित्रसेन बादशाह के प्रधान दीवान थे। वे महान् धर्मात्मा तथा उदार थे। अतुल सम्पत्ति होने पर
एक बार देवी सत्यभामा ने देवी रुक्मणि से पूछा कि दीदी क्या आपको मालुम है कि श्री कृष्ण जी बार
प्राचीन कथा के अनुसार एक बार धरती पर विश्व कल्याण हेतु यज्ञ का आयोजन किया गया। तब समस्या उठी कि
जब भी भगत को भगवान् की याद आती है, कोई दुःख तकलीफ आती है, उसका करुण हृदय किसी संसार के
भगवान की कथा भागवत गीता और रामायण सुनना बहुत अच्छी है। कुछ बहनो के पास कथा सुनने का समय होता
भगवान् का नाम प्रेमपूर्वक लेता रहे, नेत्रोंसे जल झरता रहे, हृदय में स्नेह उमड़ता रहे, रोमांच होता रहे तो देखो,
राणा सांगा के पुत्र और अपने पति राजा भोजराज की मृत्यु के बाद जब संबन्धीयो के मीरा बाई पर अत्याचार