
भगवद्भक्त कूबा जी
.राज पूताना के किसी गांव में कुम्हार जाति के एक कूबा जी नाम के भगवद्भक्त रहते थे।.ये अपनी पत्नी पुरी
.राज पूताना के किसी गांव में कुम्हार जाति के एक कूबा जी नाम के भगवद्भक्त रहते थे।.ये अपनी पत्नी पुरी
उपासक भगवान को दिल मे ऐसे बिठा लेता है जैसे हमारे मन में घर परिवार के सदस्य बैठे होते है।
त्याग मार्ग पर चलने के लिए अपने अन्दर हर समय झांकना होता है।अन्तर्मन में झांकने का अर्थ है अपने विचार
करमानंद अपने गायन से प्रभु की सेवा किया करते थे। इनका गायन इतना भावपूर्ण होता था कि पत्थर-हृदय भी पिघल
अगर हमें सदा ही परम आनन्दित रहना है; तो फिर मोहसे सावधान रहना है! क्योंकि यह मोह ही सकल व्याधियोंकी
मथुरा में एक संत रहते थे। उनके बहुत से शिष्य थे। उन्हीं में से एक सेठ जगतराम भी थे।.जगतराम का
भक्त के रूप में किसी भी व्यक्ति को जीवन में कभी भी यह विचार नहीं करना चाहिए कि वह अकेला
अति सुंदर अवश्य पढ़ें* स्वर्ग में सब कुछ हैं लेकिन मौत नहीं है,गीता में सब कुछ हैं लेकिन झूठ नहीं
एक संत थे। एक दिन वे एक जाट के घर गए। जाट ने उनकी बड़ी सेवा की। सन्त ने उसे
काशी मे श्री मधुसूदन सरस्वती नाम के एक अद्वैत वेदांती हुए । उनको कुछ ही दिनों मे शंकराचार्य पद मिलने