भक्ति मार्ग (Bhakti Marg)

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प्रभु जप की कमाई

देखो रोते तो दोनों हैं, प्रभु नाम जपने वाले भी, न जपने वाले भी। पर कारण में बड़ा अंतर है

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“भाव के भूखे प्रभु”

.                                    भगवान् ने गोपियों का अपने हाथ से श्रृंगार किया। अत: गोपियों को भी अभिमान हो गया, कि कृष्ण

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भक्ति में सरलता

भगवान की सच्ची भक्ति के लिए हमे कहीं भी जाने की जरूरत नहीं है।  कुछ ही समय भगवान का नाम

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प्रणाम साधना 1

भगवान श्री हरि को भजते हुए भक्त भगवान को हर भाव में प्रणाम करता है। प्रभु प्राण नाथ को तन

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आनंद का प्राकट्य

आनंद का प्राकट्य तभी होता है।जब साधक अन्तर्मन में परम पिता परमात्मा को बैठा लेता है। परमात्मा में लीन शरीर

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चरण स्पर्श का भाव

भगवान की चरण स्पर्श का भाव प्रकट करती हूँभक्त के अन्दर भगवान की चरण वन्दन का भाव कुट कुट कर

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