भक्ति के रूप
आज का आध्यात्मिक विचार भक्ति के रूप कोई भजन गाकर भक्ति करता है कोई प्रभु का नाम लिखकर भक्ति करता
आज का आध्यात्मिक विचार भक्ति के रूप कोई भजन गाकर भक्ति करता है कोई प्रभु का नाम लिखकर भक्ति करता
1 मंदिर परम्परागत नागर शैली में बनाया जा रहा है। 2 मंदिर की लंबाई (पूर्व से पश्चिम) 380 फीट, चौड़ाई
यदि दुख का स्वाद आनंददाई हो जाय तो सुख की लालसा ही नही होगी दुःख में सुख की खोज हमारी
एक गोपी को श्रीकृष्ण का बहुत विरह हो रहा था। सारी रात विरह में करवटे बदलते ही बीती। सुबह ब्रह्म
हिन्दू धर्म में हम मंत्र जप के लिए जिस माला का उपयोग करते हैं, उस माला में दानों की संख्या
आज का भगवद चिंतन।हमारा मन सहज ही नियंत्रित नही हो पाता।इसीलिए हम परम् लक्ष्य को नही प्राप्त कर पाते।भगवद रहस्य
रामनामसत्य_है ” ऐसा क्यों बोला जाता है :– आइये जानते हैं……एक समय कि बात जब बाबा तुलसीदास जी अपने गांव
ग्वालिन के प्राणों में स्पन्दन होने लगता है। पर क्षणभर का भी विलम्ब मनोरथ को तोड़ देगा! ग्वालिन विद्युद्गति से
वैष्णव इसलिये गले में तुलसी की कण्ठी धारण करते हैं । ये शरीर भोग के लिये नहीं है-यह शरीर भगवान्
प्रथम राम राम मेरे भगवान् तुमको करती हूं। हे परमात्मा तुम मेरी आत्मा के स्वामी हो। हे परम पिता परमात्मा