न मैं जानूं आरती-वंदन, न पूजा की रीत।
मीरा ठीक कहती है: न मैं जानूं आरती-वंदन, न पूजा की रीत।, जिनके जीवन में प्रेम नहीं है। वे ही
मीरा ठीक कहती है: न मैं जानूं आरती-वंदन, न पूजा की रीत।, जिनके जीवन में प्रेम नहीं है। वे ही
गोपियाँ कृष्ण से पूछती हैं कि बता- तू जिसके ऊपर प्रसन्न होता है उसे क्या प्रदान करता है – जब
सभी शब्दों का अर्थ मिल सकता है परन्तु”जीवन” का अर्थ जीवन जी कर और संबंध का अर्थ संबंध निभाकर ही
उड़ीसा जिले के याजपुर गाँव में बन्धु महान्ति रहते थे, उनके परिवार में पति परायण पत्नी, एक बालक और दो
राम भक्त हनुमान राम भक्त श्री राम के,फैलाते आलोक |भक्ति प्रार्थना कर रहे, राघव को दे धोक || कलयुग के
साधना का एक अत्यंत महत्वपूर्ण चरण यह है कि जैसे-जैसे साधना प्रगाढ़ होती जाती है, वैसे-वैसे साधक के मन में
हम सब अपने घर में रहकर भी श्रीभगवान का दर्शन कर सकते है,बस हमारा भाव यही होना चाहिए कि कण
ये चमत्कार हिंदी में ही हो सकता है …चार मिले चौसठ खिले, बीस रहे कर जोड़!प्रेमी-प्रेमी दो मिले, खिल गए
गोपियाँ कृष्ण से पूछती हैं कि बता- तू जिसके ऊपर प्रसन्न होता है उसे क्या प्रदान करता है – जब
बच्चे के जन्म के बाद छठी पूजन क्यों किया जाता है? भगवान श्रीकृष्ण का छठी पूजन उत्सव कैसे मनाया गया?