मन को भगवान की भक्ति मे नाम जप में लगाओ
एक दिन द्वारिका में ,मीरा एक ऐसे दुखी व्यक्ति जो पुत्र की मृत्यु के पश्चात हताश हो सन्यास लेना चाहता
एक दिन द्वारिका में ,मीरा एक ऐसे दुखी व्यक्ति जो पुत्र की मृत्यु के पश्चात हताश हो सन्यास लेना चाहता
प्रहलाद ने भगवान से माँगा:- “हे प्रभु मैं यह माँगता हूँ कि मेरी माँगने की इच्छा ही ख़त्म हो जाए।”
गत पोस्ट से आगे ……….[ श्रीशुकदेवजी कहते हैं – ] परीक्षित ! इसलिये तुम ऐसा समझ लो कि बड़े-से-बड़े पापों
कलियुग में सबसे ज्यादा माँ लक्ष्मी जी की पूजा होती है, मां लक्ष्मी जी की कृपा जिन घरों में रहती
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास *राजा पृथु ने पूछा :–* हे नारद जी! अब आप यह कहिए कि भगवान
भगवान् का प्रकट होकर गोपियों को सान्त्वना देना भगवान की प्यारी गोपियाँ विरह के आवेश में इस प्रकार भाँति-भाँति से
श्रीहरिःघडी रात गये कुछ ग्रामीण माताएँ आयी और दो भोग-थाल निवेदन करती हुई बोली – आज़ हमारे यहाँ भगवान की
मित्रतापरमात्मा का वरदान हैएक खिलावट हैनिर्दोष सपनों, अहसासों, मुस्कानों की.वह निरुद्देश्य बहती ज़िंदगी की नदी है।और जो भी उसके किनारे
एक बार तुलसी दास जी वृन्दावन आये वहॉ पर वह नित्य ही कृष्ण स्वरूप श्री नाथ जी के दर्शन को
एक गाँव में भोला केवट रहता था। वह भोला ही था इसी से उसका नाम भोला पड़ गया था। कोई