मात पिता बच्चों के सपने सजाते
पापा के सपने में एक बार बचपन में पापा से गुस्सा होकर घर से चल दिया इतना गुस्सा था कि
पापा के सपने में एक बार बचपन में पापा से गुस्सा होकर घर से चल दिया इतना गुस्सा था कि
बिटिया बड़ी हो गयी, एक रोज उसने बड़े सहज भाव में अपने पिता से पूछा – “पापा, क्या मैंने आपको
सुख और दुख दो प्रकार के है संसार में जो सुख प्राप्त होता है वह सुख इन्द्रियों और मनका सुख
एक सन्यासी ने देखा एक छोटा बच्चा घुटने टेक कर चलता था, धूप निकली थी, बच्चे की छाया आगे पड़
*मेरी बेटी की शादी थी और मैं कुछ दिनों की छुट्टी ले कर शादी के तमाम इंतजाम को देख रहा
एक सखी कहती हैं। अन्य बहुत अच्छा व्यवहार करते हैं। वे बहुत अच्छे हैं। तब दुसरी सखी कहती हैं परायों
सरकारी कार्यालय में लंबी लाइन लगी हुई थी। खिड़की पर जो क्लर्क बैठा हुआ था, वह तल्ख़ मिजाज़ का था
सुख को प्राप्त करने के लिए हम दौडते रहते हैं। हमे जंहा से भी सुख की प्राप्ति होती है हम
एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है, तो सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए… बच्चे बड़े
्मनुष्य को सदा देश और काल को समझते हुए ही अपने आचरण व्यवहार स्वभाव और कर्मों को बरताने का निश्चय