
साधकों के जीवन में सजगता और सतर्कता बहुत जरूरी है।
राधेराधे! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं!देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरूं!! *साधकों के जीवन में सजगता
राधेराधे! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं!देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरूं!! *साधकों के जीवन में सजगता
शरीर एक महल के समान है।जो दिखता सुंदर है।किंतु समय आने पर जर्जर हो जाता है।इस महल में हमारे पास
एक संत थे। एक दिन वे एक जाट के घर गए। जाट ने उनकी बड़ी सेवा की। सन्त ने उसे
एक राजा था जिसका नाम रामधन था उनके जीवन में सभी सुख थे | राज्य का काम काज भी ऐशो
मनुष्य को उसका कर्म ही सुख दुःख देता है।सृष्टि का आधार ही कर्म है। इसलिए ज्ञानी महात्मा किसी को भी
आज का प्रभु संकीर्तन। मनुष्य के कर्म ही उसके जीवन बंधन का कारण है।पढिये कथा।एक व्यक्ति था उसके तीन मित्र
परम पिता परमात्मा को प्रणाम है जय श्री राम जय गुरुदेव निष्काम कर्म योग तभी सम्भव है जब कर्म में
अपने काम को समय पर करने की आदत बनाओ क्योंकि आप घडी तो खरीद सकते हो मगर वक्त को कदापि
कर्म जीवन की सच्चाई है कर्म में भगवान छुपे बैठे हैं। कर्म करते हुए जितने हम भगवान के नजदीक है
सच्चा सिमरण गृहस्थ धर्म में ही सम्भव है। जंहा कोई हमें पुजने वाला नहीं है।हम गृहस्थ धर्म में कितना ही