
कर्म की गति बड़ी गहन है
आज की अमृत कथा अहमदाबाद में वासणा नामक एक इलाका है। वहाँ एक कार्यपालक इंजीनियर रहता था जो नहर का

आज की अमृत कथा अहमदाबाद में वासणा नामक एक इलाका है। वहाँ एक कार्यपालक इंजीनियर रहता था जो नहर का

एक चाट वाला था। जब भी उसके पास चाट खाने जाओ तो ऐसा लगता कि वह हमारा ही रास्ता देख

” कर्म सिद्धांत “ प्रकृति अपने नियमों पर सदैव अटल रहती है। प्रकृति के अपने सिद्धांत हैं वो अपने नियमों

मृत्यु होने पर सारी चीजें यहाँ तक शरीर भी यहीं रह जाती है।आत्मा सूक्ष्म शरीर है और इसके साथ केवल

राधेराधे! श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनं!देवकी परमानंदं कृष्णं वंदे जगद्गुरूं!! *साधकों के जीवन में सजगता

शरीर एक महल के समान है।जो दिखता सुंदर है।किंतु समय आने पर जर्जर हो जाता है।इस महल में हमारे पास

एक संत थे। एक दिन वे एक जाट के घर गए। जाट ने उनकी बड़ी सेवा की। सन्त ने उसे

एक राजा था जिसका नाम रामधन था उनके जीवन में सभी सुख थे | राज्य का काम काज भी ऐशो

मनुष्य को उसका कर्म ही सुख दुःख देता है।सृष्टि का आधार ही कर्म है। इसलिए ज्ञानी महात्मा किसी को भी

आज का प्रभु संकीर्तन। मनुष्य के कर्म ही उसके जीवन बंधन का कारण है।पढिये कथा।एक व्यक्ति था उसके तीन मित्र