सच्चाई(सच,सत्यता) की महिमा व उसका गुणगान।
सत मत छोड़े सूरमा, सत छोड़याँ पत जाय। सत की बाँदी लक्ष्मी, फिर मिलेगी आय।। साँच बराबर तप नहीं, झूठ
सत मत छोड़े सूरमा, सत छोड़याँ पत जाय। सत की बाँदी लक्ष्मी, फिर मिलेगी आय।। साँच बराबर तप नहीं, झूठ
अमेरिका में एक पंद्रह साल का लड़का था, स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की
एक थे पण्डित जी और एक थी पण्डिताइन। पण्डित जी के मन में जातिवाद कूट-कूट कर भरा था। परन्तु पण्डिताइन
. एक राजा थे। उसके पास एक बड़े विद्वान् पण्डित आया करते थे। वे प्रतिदिन राजा को कथा सुनाते थे।
संसार के समस्त विचारकों ने एक स्वर से विचारों की शक्ति और उसके असाधारण महत्त्व को स्वीकार किया है। संसार
दो दोस्त थे, दोनों एक बार एक मंदिर के सामने से गुजर रहे थे। एक दोस्त ने दूसरे दोस्त से
जिस तरह अशुद्ध सोने को भट्ठी में गलाने से उसकी अशुद्धियाँ पिघलकर बाहर निकल जाती हैं और भट्ठी में केवल
हमारी जिह्वा में सत्यता हो, चेहरे में प्रसन्नता हो और हृदय में पवित्रता हो तो इससे बढ़कर सुखद जीवन का
जीवन बहुत ही अनिश्चित और अनियंत्रित होता है।जीवन की इस लंबी पारी में न जाने कौन कौन और किस प्रकार
एक वृद्ध व्यक्ति बहुत परेशान था कारण शारीरिक बीमारी से ग्रस्त था। वो बैठा कुछ सोच रहा था तभी बहु