
“वृंदावन का इतिहास”
. “वृंदावन का इतिहास” वृंदावन तो हम सभी जाते हैं परन्तु वृंदावन के इतिहास को कम ही लोग जानते

. “वृंदावन का इतिहास” वृंदावन तो हम सभी जाते हैं परन्तु वृंदावन के इतिहास को कम ही लोग जानते

वृन्दावन की गोपियों से लेकर दर्द दीवानी मीरा तक, इस सांवरी सलोनी सूरत के अनेक प्रेमी हुए हैं और हर

नुकीली क्यों बनाई जाती है ? मंदिर तो आपने देखे ही होंगे।मंदिरों की छतों पर एक विशेष प्रकार कीआकृति बनाई

वृंदावन में यमुना जी के तीरे एक व्यक्ति बैठे थे ! विचार मग्न थे ! दिन में नाम की महिमा

संतो की कृपा जिस पर हो जाए उसे फिर क्या नहीं मिल सकता, अकबर जैसे बादशाह पर कृपा हुई तो

भजन रस सार कौ सार रस विपिन कौ,बिना राज परस कहो कौन पायौ ।महेस ओर सेस ब्रह्मादिकन अगम अति,नेति कहि

वृंदावन, मथुरा, गौकुल, नँदगांव, बरसाना, गोवर्धन सहित वें सभी जगह जहाँ श्री कृष्ण जी का बचपन बीता और आज भी

श्री वृंदावन धाम में एक विरक्त संत रहते थे जिनका नाम था पूज्य श्री सेवादास जी महाराज ! श्री सेवादास

ठाकुर जी को गर्मी से राहत दिलाने के लिएमंदिरों में तरह-तरह के फूल बंगले बनाने की अनूठीपरम्परा है और इनके

ब्रज में बसंत पंचमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक 40 दिवसीय होली मनाई जाती है, इसलिये कहा भी गया है सारे