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एक व्यक्ति परिवार में अपने मे अकेला बैठा है। उसके मन में विचार आता है देख मेरे साथ कोई हंसता
एक व्यक्ति परिवार में अपने मे अकेला बैठा है। उसके मन में विचार आता है देख मेरे साथ कोई हंसता
द्रोपदी के स्वयंवर में जाते वक्त “श्री कृष्ण” ने अर्जुन को समझाते हुए कहते हैं कि : हे पार्थ ,
कई बार प्राप्ति से नहीं अपितु आपके त्याग से आपके जीवन का मूल्यांकन किया जाता है। माना कि जीवन में
हे मेरे बांके बिहारीकालीकाल में तेरी महिमा हैं न्यारीहारे हुओं का तुम हो सहाराकहलाए जग में प्रभु तारण हारामैं भी
धर्म,सदाचार और नैतिकता मनुष्य को सत्य,असत्य का भेद करना सिखाते हैं। अगर जीवन में आत्म-नियंत्रण अथवा स्वयं पर नियंत्रण और,
हरि बोल मेरी रसना घड़ी-घड़ी।व्यर्थ बीताती है क्यों जीवन मुख मन्दिर में पड़ी-पड़ी॥नित्य निकाल गोविन्द नाम की श्वास-श्वास से लड़ी-लड़ी।जाग
“भक्तो का संसार” भक्ति मे शक्ति है कर्मो से डरो ईश्वर से नही जन्म से ना तो कोई दोस्त पैदा