सुविचार 25
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के
निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के
है मेरे मोहन मदन मुरारीयूँ तो मेरी हर बात समझ जाते हो, फिर क्यों मुझे इतना सताते हो!!तुम बिन कोई
है मनमोहन गिरधारी.. शीत लहर चले जो बृज में,शाल दुशाला ले आऊं..!लालन जू को अचक उठा के,तातो जल मुख धुलवाऊं..!!मधुर
प्रातः वंदन,,,,🙏🙏नमःशिवायसंबंधो का पौधा जब भी लगाओजमीन को भी परख लेनासभी मिट्टी मैं रिश्तों को उपजाऊबनाने की आदत नहीं होतीसत्य
राधे राधे सुप्रभात 🙏🌹हैप्पी होली 🙏🌹 रंगो के त्योहार होली की आप और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं आपका दिन
निश्चय करो – मेरा कभी कोई अमंगल नहीं हो सकता, मेरा कभी कोई बुरा नहीं कर सकता; क्योंकि सभी में
बहुत कठिन होता हैमन को.. इन्द्रियों को संयम में रखना।कई बार छोटी छोटी सी बातेंविचलित कर देती हैं…फिर संसार के
समय की कदर करें, उसे यूँ ही व्यर्थ न जाने दे!! जो समय की संभाल नहीं करते समय उनकी संभाल
हे मालिक ! दिन भर में मुझसे कोई ऐसा करम न हो । जो तेरी नजर में गुनाह हो !!हक
‘मां’ और ‘सास’ में अंतर कुछ नहीं रोते हुए ‘संसार’ में आई,तब ‘मां’ ने गोद में उठाया.!रोते हुए ‘ससुराल’ गई,तब