सुविचार 18
हे मालिक ! दिन भर में मुझसे कोई ऐसा करम न हो । जो तेरी नजर में गुनाह हो !!हक
हे मालिक ! दिन भर में मुझसे कोई ऐसा करम न हो । जो तेरी नजर में गुनाह हो !!हक
‘मां’ और ‘सास’ में अंतर कुछ नहीं रोते हुए ‘संसार’ में आई,तब ‘मां’ ने गोद में उठाया.!रोते हुए ‘ससुराल’ गई,तब
सूर्यदेव वंदन * सुप्रभात जल से पूजन कीजिए, मन से करिए ध्यान।दिनप्रति खुशियाँ दे रहे, सूर्यदेव भगवान।। सूर्यदेव की रोशनी,
प्रातः वंदन….🙏🙏नमःशिवायमनुष्य का जीवन गीली मिट्टी की तरह हैएवं उसके विचार एक साँचे की तरहजैसे विचारों में वह डूबा रहता
मन मथुरा और तन वृंदावन ,नयन बहे यमुना जल पावनरोम रोम बसे है गोपी ग्वाला ,धडकन जपती निशिदीन माला.साँसो मे
व्यर्थ बोलने की अपेक्षा मौन रहना यह वाणी की प्रथम विशेषता है;सत्य बोलना यह वाणी की दूसरी विशेषता है;प्रिय बोलना
प्रातः वंदन….🙏🙏नमःशिवायजिन्दगी वही है जो हम आज जी लेते हैकल हम जो जीयेंगे वो उम्मीद होगीअपनी सुन्दरता का आंकलन दर्पण
।।श्री हरिः नंमः,!! ॐश्री गंणेशाय नंमः,!!🙏ॐॐॐॐॐॐ🙏इश दुनिया में कोई भी चीज कितनी भी कीमती क्यों न हो,,,!परन्तु ईशवर ने हमें
जैसे हर रास्ते पर कुछ न कुछ परेशानी होती है वैसे ही हर परेशानी का कोई न कोई रास्ता होता
* जय श्री विष्णु भगवान * एक उम्र होती है जब सिर्फ रूप और रंग महत्वपूर्ण होता है….., एक उम्र