
गीता पर शपथ क्यों दिलाई जाती है
गीता का इतना महत्व क्यों है , कभी सोचा है ? आखिर इस पुस्तक पर हाथ रखकर शपथ क्यों दिलाई

गीता का इतना महत्व क्यों है , कभी सोचा है ? आखिर इस पुस्तक पर हाथ रखकर शपथ क्यों दिलाई

ब्रह्म, ब्रह्म की शक्ति नित्यमें नहीं कभी रंचक भी भेद।जो वह, वही तुम्हीं हो, है निश्चय दोनोंमें नित्य अभेद॥-१॥शक्ति न

रा + धा=राधा‘रा’ से बीज मन्त्र ‘धा’ से धारणा की होती सिद्धि, और होती शुकदेव की समाधि अनायास है।मेरी रसना

।। गोस्वामी तुलसीदास जी लिखित रामचरितमानस एक अनुपम ग्रंथ है जिसकी एक एक चौपाई मंत्र के समान प्रभाव रखती है।

तत्त्व के साक्षात्कार के लिए सम्पूर्ण प्रयास होते हैं। तत्त्व जिज्ञासा होने के बाद ही श्रवण-मननादि होता है और भगवत्तत्त्व

।। श्रीहरि: ।। सशङ्खचक्रं सकिरीटकुण्डलंसपीतवस्त्रं सरसीरुहेक्षणम्।सहारवक्षस्स्थलशोभिकौस्तुभंनमामि विष्णुं शिरसा चतुर्भुजम्।। अनंत, वासुकी, शेषं, पद्मनाभं च कम्वलं।शंखपालं, धृतराष्ट्रकंच, तक्षकं, कालियं तथा।। एतानि

एक बच्चा प्रतिदिन अपने दादा जी को सायंकालीन पूजा करते देखता था। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर

हनुमत तेरी बंदगी, करता सब संसार|राम नाम के जाप से,मिटते कष्ट हजार || ईश्वर वंदन भक्ति का, मिले हमें वरदान

एक बार पुरा गणित लगाकर देख ले आश्चर्य चकित हो जाएंगे।: अद्भुत गणितअदभुत गणितज्ञ “श्री तुलसीदासजी से एक भक्त ने

विशेष – आज की पंचमी को रंग-पंचमी कहा जाता है. उत्तर भारत में विशेषकर मध्य-प्रदेश, राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में