
श्री धनलक्ष्मी स्तोत्रम्
धनदा उवाचदेवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।।१।। देव्युवाचब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।।२।। शिव उवाचपूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह
धनदा उवाचदेवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।।१।। देव्युवाचब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।।२।। शिव उवाचपूजयन् पार्वतीवाक्यमिदमाह
एक समय इंद्रदेव से किसी बात पर रूष्ट होकर देव गुरू ‘बृहस्पति’ स्वर्गलोक त्याग कर चले गए ! असुरों ने
राधा कृपा कटाक्ष स्तोत्र भगवान शिव द्वारा रचित और देवी पार्वती से बोली जाने वाली राधा कृपा कथा श्रीमती राधा
रक्ष रक्ष महादेवि दुर्गे दुर्गतिनाशिनि।मां भक्त मनुरक्तं च शत्रुग्रस्तं कृपामयि।। विष्णुमाये महाभागे नारायणि सनातनि।ब्रह्मस्वरूपे परमे नित्यानन्दस्वरूपिणी।। त्वं च ब्रह्मादिदेवानामम्बिके जगदम्बिके।त्वं
।। ।। जो व्यक्ति इसका पाठ निरंतर करता है। शनिदेव उससे प्रसन्न रहते हैं। उसे अकाल मृत्यु तथा हत्या का
।। ।। वन्दे सिन्दूरवर्णाभं लोहिताम्बरभूषितम्।रक्ताङ्गरागशोभाढ्यं शोणापुच्छं कपीश्वरम्।। भजे समीरनन्दनं, सुभक्तचित्तरञ्जनं, दिनेशरूपभक्षकं, समस्तभक्तरक्षकम्।सुकण्ठकार्यसाधकं, विपक्षपक्षबाधकं, समुद्रपारगामिनं, नमामि सिद्धकामिनम्।।१।। सुशङ्कितं सुकण्ठभुक्तवान् हि यो
।। ।। धनदा उवाचदेवी देवमुपागम्य नीलकण्ठं मम प्रियम्।कृपया पार्वती प्राह शंकरं करुणाकरम्।।१।। देव्युवाचब्रूहि वल्लभ साधूनां दरिद्राणां कुटुम्बिनाम्।दरिद्र दलनोपायमंजसैव धनप्रदम्।।२।। शिव
महर्षि वशिष्ठ द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की प्रसन्नता एवं धन वैभव प्राप्ति के लिए यह अचूक उपाय है।
जो सूर्य के उदय और अस्तकाल में दोनों संध्याओं के समय इस स्तोत्र के द्वारा भगवान सूर्य की स्तुति करता
।। विन्ध्येश्वरी स्तोत्र ।। इस स्तोत्र का नौ दिन ११, २१ या ५१ पाठ पूरी श्रद्धा से करने पर अपार