किससे माँगूँ
बादशाहकी सवारी निकली थी। मार्गके समीप वृक्षके नीचे एक अलमस्त फकीर लेटे थे अपनी मस्तीमें। बादशाह धार्मिक थे, श्रद्धालु थे,
बादशाहकी सवारी निकली थी। मार्गके समीप वृक्षके नीचे एक अलमस्त फकीर लेटे थे अपनी मस्तीमें। बादशाह धार्मिक थे, श्रद्धालु थे,
औरंगजेबकी आज्ञासे गुरु तेगबहादुरकी दिल्लीमें नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गयी। बादशाहको इतनेसे संतोष नहीं हुआ। उसने आज्ञा दी – ‘इस
सद्व्यवहारका अचूक अस्त्र एक राजाने एक दिन स्वप्न देखा कि कोई परोपकारी साधु उससे कह रहा है कि बेटा! कल
कोई भक्त राजा एक महात्माकी पर्णकुटीपर जाया करते थे। उन्होंने एक बार महात्माको अपने महलोंमें पधारनेके लिये कहा, पर महात्माने
समस्या चट्टान-सी पुराने समयकी बात है। माधोपुर गाँवमें एक किसान माधवनाथ रहता था। उसके पास खेती करनेके लिये एक बड़ा-सा
दृष्टिका भेद एक चित्रकार था। उसने एक सुन्दर रंगीन चित्र तैयार किया। वह अपने चित्रको लेकर विनोबाजी के पास पहुँचा।
निश्चित उद्देश्य एक लड़केने एक बहुत धनी व्यक्तिको देखकर धनवान् बननेका निश्चय किया। कई दिनतक वह कमाईमें लगा रहा और
मनुष्यके जीवनका प्रत्येक क्षण अमूल्य है। समय ऐसा धन है, जो चले जानेपर वापस नहीं आया करता। विवेकी पुरुष समय-बद्धताकी
‘माँ, मुझे उतना ही मीठा दूध पिलाओ।’ उपमन्यु घर आकर माँकी गोदमें बैठ गया। उसने अभी थोड़ी देर पहले अपने
किसीने महात्मा गांधीजीसे पूछा कि ‘रामचन्द्रने सीताका अग्निमें प्रवेश कराया और उसका त्याग किया। युधिष्ठिरने जुआ खेला और द्रौपदीकी रक्षा