
अहंकार से आत्मज्ञान तक
मौन में क्रांति – एक जैन कथा अहंकार से आत्मज्ञान तक बहुत समय पहले, चम्पापुरी नामक एक शांत नगर में
मौन में क्रांति – एक जैन कथा अहंकार से आत्मज्ञान तक बहुत समय पहले, चम्पापुरी नामक एक शांत नगर में
श्यामसुन्दर का प्रेम क्या वस्तु है वास्तव में बात यह है कि भगवद्प्रेम साधना से नहीं मिलता। यह तो उसी
गुरु समर्थ रामदास स्वामी जयंती महाराष्ट्र भूमि संत-महात्माओं की खदान है। ज्ञानेश्वर, तुकाराम, एकनाथ, नामदेव, संत जनाबाई, मुक्ताबाई, सोपानदेव आदि
जीवन में कभी कभी आप गोपाल जी की कृपा से उनके अदभूत भक्तों से मिल जाते है ! ऐसा ही
एक संत के बाबत मैंने सुनी है एक कहानी। यूरोप में एक फकीर हुआ, उसके बाबत बहुत सी कहानियां हैं,
वरिष्ठ जनों को सादर प्रणाम, बुद्धवार, 16 अप्रैल, 2025विक्रमी संवत 2082, शक संवत 1947वैशाख माह कृष्ण पक्षनक्षत्र: अनुराधा राहु कालम:
वाराणसी के एक साधक थे सुदर्शन जी ब्रह्ममुहूर्त का समय था । वे गंगा जी में कमर तक डूबे जप
एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस
बरसाने में आज श्री राधिका जी के मुखमंडल पर कुछ उदासी सी छायी देखकर वृषभानु बाबा अति लाड से पूछ
समर्थ गुरू राम दास जी संगत के समक्ष राम कथा कर रहे थे और हनुमान जी वेष बदल कर रोज