
एक अक्षरसे तीन उपदेश
एक बार देवता, मनुष्य और असुर-ये तीनों ही ब्रह्माजीके पास ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्याध्ययन करने गये। कुछ काल बीत जानेपर उन्होंने उनसे
एक बार देवता, मनुष्य और असुर-ये तीनों ही ब्रह्माजीके पास ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्याध्ययन करने गये। कुछ काल बीत जानेपर उन्होंने उनसे
श्रीराम शास्त्री अपनी न्यायप्रियताके लिये महाराष्ट्र इतिहासमें अमर हो गये हैं। वे पेशवा माधवरावजी के गुरु थे, मन्त्री थे और
महाराज काशीनरेशकी एक कन्या थी, जो परम विदुषी और धार्मिक भावनासे युक्त होकर दिन-रात धर्मकी चर्चा किया करती थी। उसे
पापका परिणाम – दारुण रोग बात पुरानी है, परंतु है सच्ची। पुराने पंजाबके मुजफ्फरगढ़ जिलेमें जंगलके समीप एक छोटा-सा ग्राम
नीमसे मधु नहीं टपकता सुमन्त्र महाराज दशरथके प्रधान सचिव, सखा और सारथि थे। श्रीरामके प्रति इनका सहज स्नेह और वात्सल्य
महापुरुषोंके बोधपरक जीवन प्रसंग ईश्वरचन्द्र विद्यासागर – कुछ प्रेरक-प्रसंग (डॉ0 श्रीरामशंकरजी द्विवेदी) बड़ा आदमी बंगालमें गोलदीघीके दक्षिणी किनारके एक दुमजला
एक बहिरा मनुष्य नियमपूर्वक कथा सुनने जाया करता था। जब कथावाचकजीको पता लगा कि वह बहिरा है और कथाका एक
एक अकिंचन भगवद्भक्तने एक बार व्रत किया। पूरे दस दिनतक वे केवल जल पीकर रहे। उनका शरीर अत्यन्त दुर्बल हो
‘महाराजा मेघवाहनके धार्मिक शासनमें भी असहाय और निरपराधका वध हो यह तो घोर लज्जाकी बात है मुझे बचाओ, मेरे प्राण
लगभग एक हजार वर्ष पहलेकी बात है। महाराज यशस्करदेव काश्मीरमें शासन करते थे। प्रजाका जीवन धर्म, सत्य और न्यायके अनुरूप