
दानका फल (1)
गरमीके दिन थे, धूप तेज थी, पृथ्वी जल रही थी। महाराज भोजके राजकवि किसी आवश्यक कार्यको सम्पन्न करके नगरकी ओर

गरमीके दिन थे, धूप तेज थी, पृथ्वी जल रही थी। महाराज भोजके राजकवि किसी आवश्यक कार्यको सम्पन्न करके नगरकी ओर

महाप्रभु यह सुनकर आश्चर्यचकित हो गये कि भगवद्-विग्रहके राजभोगके लिये द्रव्यका अभाव हो चला है। ‘सोनेकी कटोरी गिरवी रख दी

तिलक महाराजके एक मित्रने बातचीतके प्रसङ्गमें उनसे कहा- ‘बलवंतराव स्वराज्य होनेपर आप कौन सा काम अपने हाथमें लेंगे-आप प्रधानमन्त्री बनेंगे

एक सुन्दर स्वच्छ जलपूर्ण सरोवर था; किंतु दुष्ट प्रकृतिके लोगोंने उसके समीप अपने अड्डे बना लिये थे। सरोवरके एक कोनेपर

पाँच झेन बोध-कथाएँ [झेन-साधना बौद्ध परम्पराके अन्तर्गत जापानमें विकसित हुई। जीवनकी सामान्य-सी दीखनेवाली घटनामें सत्यकी असामान्य अनुभूति थोड़े-से शब्दोंमें हो,

एक बार महाराज करन्धम महाकालका दर्शन करने गये। कालभीतिने जब करन्धमको देखा, तब उन्हें भगवान् शंकरका वचन स्मरण हो आया।

मित्रकी पहचान दो मित्र एक साथ भ्रमण करने निकले थे। संयोगवश उसी समय वहाँ एक भालू आ पहुँचा। एक मित्र

बुद्धिका चातुर्य एक वृद्ध महिलाकी आँखें बड़ी कमजोर हो गयी थीं, इस कारण वे कुछ देख नहीं पाती थीं। पासहीमें

श्री अश्विनीकुमार दत्त जब हाईस्कूलमें पढ़ते थे, तब कलकत्ता विश्वविद्यालयका नियम था कि सोलह वर्षसे कम अवस्थाके विद्यार्थी हाईस्कूलकी परीक्षामें

अशोकवाटिकामें श्रीसीताजीको बहुत दुखी देखकर | महावीर हनुमानजीने पर्वताकार शरीर धारण करके उनसे कहा-‘ माताजी! आपकी कृपासे मैं पर्वत, वन,