
हस्त-लेखका मूल्य
1925 के जूनमें, जब गांधीजीका खादी-प्रचार तथा चरखा उद्योगका प्रयत्न चल रहा था, देशबन्धु चितरञ्जन दासने उनसे दार्जिलिंगमें अपने यहाँ

1925 के जूनमें, जब गांधीजीका खादी-प्रचार तथा चरखा उद्योगका प्रयत्न चल रहा था, देशबन्धु चितरञ्जन दासने उनसे दार्जिलिंगमें अपने यहाँ

पूर्वकालमें काश्यप नामक एक बड़ा तपस्वी और संयमी ऋषिपुत्र था। उसे किसी धनमदान्ध वैश्यने अपने रथके धक्केसे गिरा दिया। गिरने

इटली के एक धर्मयाजक (पादरी) पर बड़े-बड़े कष्ट आये; परंतु उनके मनमें कभी ताव नहीं आया। लोग उन्हें गालियाँ बकते

अपरिचितकी मदद विद्यासागरने एक दिन अपने एक विश्वस्त कर्मचारीसे कहा-‘देखो, कलूटोलामें अमुक गलीके अमुक नम्बरके घरमें एक मद्रासी भद्रपुरुष रहते

द्रोणाचार्य उन दिनों हस्तिनापुरमें कुरुकुलके बालक पाण्डव एवं कौरवोंको अस्त्र-शस्त्रकी शिक्षा दे रहे थे। एक दिन एक काले रंगका पुष्ट

महात्मा इब्राहीमका नियम था कि किसी अतिथिको भोजन कराये बिना भोजन नहीं करते थे। एक दिन उनके यहाँ कोई अतिथि

एक छन्दमें चार पातिव्रत्य – प्रसंग बिंदिया चाहे तो निज सत से, रवि को राह भुला सकती है। यम के

एक अंग्रेज अफसर अपनी नवविवाहिता पत्नीके साथ जहाजमें सवार होकर समुद्र यात्रा कर रहा था। रास्तेमें जोरसे तूफान आया। मुसाफिर

नशा ही तो— कामका नशा चढ़ गया था सेठ धनदत्तके पुत्रके सिरपर एक नट आया उनके यहाँ और उसने अपनी

रक्षामन्त्रीका पत्र एक बार अमेरिकी सेनाके एक प्रमुख अधिकारीने रक्षामन्त्रीके आदेशको ठीकसे समझ न पानेके कारण कोई भूल कर दी।