
वेषसे साधु साधु नहीं, गुणोंसे साधु साधु है
एक साधु प्रातः काल शौचादिसे निवृत्त होकर नदी किनारे एक धोबीके कपड़े धोनेके पत्थरपर खड़े-खड़े ध्यान करने लगे। इतनेमें धोबी

एक साधु प्रातः काल शौचादिसे निवृत्त होकर नदी किनारे एक धोबीके कपड़े धोनेके पत्थरपर खड़े-खड़े ध्यान करने लगे। इतनेमें धोबी

बात है तेरह सौ वर्षसे भी अधिककी । रत्नोंका व्यापार करनेवाला एक जौहरी था। व्यवसायकी दृष्टिसे वह प्रख्यात रोम नगरमें

नामदेवकी पत्नी राजाई अपनी सहेली परिसा भागवतकी पत्नीके पास गयी। घरेलू सुख-दुःखकी। कथाके प्रसङ्गमें राजाईने अपने घरकी अत्यधिक विपन्नताकी राम

बड़े लोगोंकी बड़ी बातें एक बार बातें करते-करते शम्भुरावने कहा, ‘बहू। तुमने शिक्षा ग्रहण नहीं की. फिर भी तुम बड़ी

एक गृहस्थ त्यागी, महात्मा थे। एक बार एक सज्जन दो हजार सोनेकी मोहरें लेकर उनके पास आये और कहने लगे-

छलपूर्वक असत्य भाषण करनेसे नरक-दर्शन धर्मराज युधिष्ठिरने स्वर्गमें जानेके पश्चात् देखा कि दुर्योधन स्वर्गीय शोभासे सम्पन्न हो देवता और साध्यगणोंके

महाभारतका युद्ध समाप्त हो गया था। धर्मराज युधिष्ठिर एकच्छत्र सम्राट् हो गये थे। श्रीकृष्णचन्द्रकी सम्मति रानी द्रौपदी तथा अपने भाइयोंके

“वीर सैनिक! घूम जाओ, आगे बढ़नेपर प्राण चले जायँगे।’ राजकन्याने घोड़ेके सवारको सावधान किया। वह सुन्दर से – सुन्दर वस्त्र

पिताने अपने नन्हे से पुत्रको कुछ पैसे देकर बाजार भेजा फल लानेके लिये। बच्चेने रास्तेमें देखा, कुछ लोग, जिनके बदनपर

यूरोपके इतिहासमें मार्टिन लूथरका नाम स्वर्णाक्षरोंमें अङ्कित है। वे अपने समयके बहुत बड़े आध्यात्मिक नेता थे; उन्होंने मध्यकालीन यूरोपमें धार्मिक