
प्रथम राष्ट्रपति
(9) प्रथम राष्ट्रपति घटना सत्रहवीं शताब्दीकी है। उत्तरी वर्जीनियामें कुछ मित्र किनारे बैठे थे कि उन्होंने एक स्त्रीके रोने-चिल्लानेकी आवाज
(9) प्रथम राष्ट्रपति घटना सत्रहवीं शताब्दीकी है। उत्तरी वर्जीनियामें कुछ मित्र किनारे बैठे थे कि उन्होंने एक स्त्रीके रोने-चिल्लानेकी आवाज
प्रेतयोनिकी प्राप्तिके कारण पूर्वकालमें विदूरथ नामसे प्रसिद्ध एक हैहयवंशी राजा हो गये हैं, जो बड़े-बड़े यज्ञ करनेवाले, दानपति तथा प्रत्येक
एक बार कोई वकील ईसामसीहके पास आया और कहने लगा-‘ प्रभो। मुझे अमरत्व प्राप्तिके लिये क्या करना होगा ?’ ईसाने
एक बार भगवान् श्रीकृष्ण हस्तिनापुरके दुर्योधनके। यज्ञसे निवृत्त होकर द्वारका लौटे थे। यदुकुलकी लक्ष्मी उस समय ऐन्द्री लक्ष्मीको भी मात
द्रुपदकथाके निहितार्थ पांचाल देशके राजकुमार द्रुपद और द्रोणने ऋषि भरद्वाजके आश्रममें रहते हुए एक साथ अस्त्र-शस्त्रोंके संचालनकी विद्या सीखी। पिताको
सम्राट् नेपोलियन युद्धमें पराजित हो गये थे। अंग्रेजोंने उन्हें बंदी बना लिया था। एक अंग्रेजी जहाजसे वे सेंट हेलेना द्वीप
एक बार महाराज जनकने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। उसमें उन्होंने एक बार एक सहस्र सोनेसे मढ़े हुए सींगोंवाली बढ़िया
कोई भी कार्य घटिया ढंगसे मत करना भारतके लब्धप्रतिष्ठ अभियन्ता और समाजसेवी श्रीविश्वेश्वरैयाने अपनी पुस्तक ‘मेरे कामकाजी जीवनके संस्मरण’ में
दान, दया और दमन एक समय देवता, मनुष्य और असुर पितामह प्रजापति ब्रह्माजीके पास शिष्यभावसे विद्या सीखने गये एवं नियमपूर्वक
ह्वाइटहेवनमें वेलिंगटन नामक एक कोयलेकी खान थी। उसके निकट ही दो-तीन झोंपड़ियाँ थीं। एक झोंपड़ीमें अपनी माँ और दो बहिनोंके