
अहिंसाका चमत्कार
लगभग तीन हजार साल पहलेकी बात है। एक समय भगवान् बुद्ध राजगृहमें विहार कर रहे थे । देवदत्त उनसे ईर्ष्या

लगभग तीन हजार साल पहलेकी बात है। एक समय भगवान् बुद्ध राजगृहमें विहार कर रहे थे । देवदत्त उनसे ईर्ष्या

किसी राजाके चार रानियाँ थीं। एक दिन प्रसन्न होकर राजाने उन्हें एक-एक वरदान माँगनेको कहा। रानियोंने कह दिया- ‘दूसरे किसी

जैसा क्रोध, वैसा उपचार एक स्त्रीको जरा-जरा-सी बातपर गुस्सा आता था। उसके इस स्वभावसे घर-परिवारके लोग बहुत परेशान रहते थे।

लक्ष्य तो निर्धारित करो! गोविन्द एक छोटी-सी दुकानसे अपना घर-खर्च चलाता था। न उसके पास जमा करनेलायक बचता था, न

उस समय फ्रांस और ऑस्ट्रियामें युद्ध चल रहा था लॉटूर आवन फ्रांसकी ग्रेनेडियर सेनाका सैनिक था। वह छुट्टी लेकर अपने

‘तुमलोगोंको किला छोड़नेके पहले सारे नगरको जलाकर नष्ट कर देना चाहिये। तुम्हारी संख्या दो सौ है; तुम्हें किसी बातका भय

सदाचारके उल्लंघनसे पतन पाण्ड्यदेशमें वज्रांगद नामसे प्रसिद्ध एक राजा हो गये हैं। वे बड़े धर्मात्मा, न्यायवेत्ता, शिवपूजापरायण, जितेन्द्रिय, गम्भीर, उदार,

दलदलकी गहराई किसी नगरमें एक राजा राज्य करता था। उसका ह एक मन्त्री था, जो बड़ा ही लोभी तथा धैर्यहीन

सरयूके स्वच्छ पुलिनपर चक्रवर्तीजीके चारों कुमार खेलने आये थे सखाओंके साथ समस्त बालकोंका विभाजन हो गया दो दलोंमें एक दलके

प्राचीन समयकी बात हैं। कुरुवंशके देवापि और शन्तनुमें एक दूसरेके प्रति स्वार्थ त्यागकी जो अनुपम भावना थी, वह भारतीय इतिहासकी