
विद्वता अथवा मानवता
एक बहुत बड़ा मंदिर था। उसमें हजारों यात्री दर्शन करने आते थे। सहसा मंदिर का प्रबंधक प्रधान पुजारी मर गया।

एक बहुत बड़ा मंदिर था। उसमें हजारों यात्री दर्शन करने आते थे। सहसा मंदिर का प्रबंधक प्रधान पुजारी मर गया।

सदैव अच्छे कर्म करना चाहिए, क्योंकि बुरे कर्म हजारो जन्मों तक भी पीछा नहीं छोड़ते हैं…..सदियां गुजर गई लेकिन आज

“आत्माsस्य जन्तोर्निहितो गुहायाम्।” (उपनिषद्) भगवान् तो हमारे भीतर ही बैठे हैं, हम उन्हें बाहर ढूँढते-फिरते हैं। एक सेठ दिल्ली से
श्री कृष्ण के प्रति गोपियों का प्रेम इतना अधिक बढ़ गया था कि वह उनका वियोग एक क्षण भी नहीं

( एक शिक्षक के पेट में ट्यूमर (गाँठ) हो गया । उन्हें अस्पताल में भर्ती कर दिया गया । अगले

श्याम बाबा की कहानी महाभारत काल से संबंधित है। श्याम बाबा(बर्बरीक) भीम और हिडिम्बा के पौत्र थे। उनके पिता का

एक बार एक राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवो में घूम रहा था, पुराने जमाने

कभी सोचा है भगवान कृष्ण का स्वरूप हमें क्या सिखाता है। क्यों भगवान जंगल में पेड़ के नीचे खड़े बांसुरी

।। श्री: कृपा ।। पूज्य “सद्गुरुदेव” जी ने कहा – आहार का सम्बन्ध न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य से है

राम।। लोगोंने समझा है कि हम संसारके आदमी हैं और भगवान्की प्राप्ति बड़ी दुर्लभ, कठिन है। यह बात नहीं है।