
कुन्तीका त्याग
कुन्तीसहित पाँचों पाण्डवोंको जलाकर मार डालने के उद्देश्यसे दुर्योधनने वारणावत नामक स्थानमें एक चपड़ेका महल बनवाया और अंधे राजा धृतराष्ट्रको

कुन्तीसहित पाँचों पाण्डवोंको जलाकर मार डालने के उद्देश्यसे दुर्योधनने वारणावत नामक स्थानमें एक चपड़ेका महल बनवाया और अंधे राजा धृतराष्ट्रको

मनोविज्ञानका नियम प्रख्यात मनोवैज्ञानिक सिगमण्ड फ्रॉयड छुट्टीके दिन अपने परिवारके साथ एक पार्कमें घूमने गये। काफी देर टहलते रहे। लौटते

मिथिला नरेश महाराज जनक अपने राजभवनमें शयन कर रहे थे। निद्रामें उन्होंने एक अद्भुत स्वप्न देखा मिथिलापर किसी शत्रु नरेशने

राजपूतोंमें विजयादशमीके दिन आखेट करनेकी प्रथा चली आ रही है। मेवाड़के राणा प्रताप तथा उनके छोटे भाई शक्तसिंह सैनिकोंके साथ

एक समय कुरुदेशमें ओलोंकी बड़ी भारी वर्षा हुईं। इससे सारे उगते हुए पौधे नष्ट हो गये और भयानक अकाल पड़

एक नरेशकी श्रद्धा हो गयी एक महात्मापर। नरेशने संतकी सेवाका महत्त्व सुना था। वे राजा थे, अतः अपने ढंगसे वे

फ्रेडरिककी सेनामें एक मनुष्य कभी लेफ्टनेंट कर्नलके पदपर रहा था। काम न होनेसे उसे अलग कर दिया गया। वह बार-बार

बुद्धिर्यस्य बलं तस्य किसी वनमें चन्द्रसरोवर नामका एक तालाब था। उसके किनारे खरगोशोंका एक समूह रहा करता था। खरगोश किनारेपर

* ‘जाहि निकारो गेह ते क्यों न भेद कहि देइ’ कुम्भकर्णसहित अनेक राक्षस सेनापतियोंका वध हो जानेपर इन्द्रजित् मेघनादने युद्धभूमिमें

लेनदार कौन ? छात्र जीवनमें स्वामी रामतीर्थको दूध बड़ा प्रिय था। वे एक हलवाईसे खरीदकर प्रतिदिन दूध पिया करते थे।