
मिथ्या गर्वका परिणाम
समुद्रतटके किसी नगरमें एक धनवान् वैश्यके पुत्रोंने एक कौआ पाल रखा था। वे उस कौएको बराबर अपने भोजनसे बचा अन्न
समुद्रतटके किसी नगरमें एक धनवान् वैश्यके पुत्रोंने एक कौआ पाल रखा था। वे उस कौएको बराबर अपने भोजनसे बचा अन्न
एक महात्मा बड़ी सुन्दर वेदान्तकी कथा कहा करते। बहुत नर-नारी सुनने जाते। उनमें एक गरीब राजपूत भी था जो आश्रमके
कहा जाता है कि बचपनमें पण्डित बोपदेवजीकी स्मरणशक्ति अत्यन्त क्षीण थी। वे बहुत परिश्रम करते थे, किंतु व्याकरणके सूत्र उन्हें
भोगासक्तिका दुष्परिणाम विरोचनकुमार बलिका एक बलवान् पुत्र था, जिसका नाम था- साहसिक । वह अपनी स्त्रियोंके साथ गन्धमादनपर्वतपर विहार कर
एक बार महाराज जनकने एक बहुत बड़ा यज्ञ किया। उसमें उन्होंने एक बार एक सहस्र सोनेसे मढ़े हुए सींगोंवाली बढ़िया
ह्वाइटहेवनमें वेलिंगटन नामक एक कोयलेकी खान थी। उसके निकट ही दो-तीन झोंपड़ियाँ थीं। एक झोंपड़ीमें अपनी माँ और दो बहिनोंके
सन् 1916 की 23 जुलाईको लोकमान्य तिलककी 60 वीं वर्षगाँठ थी। दो वर्ष पूर्व ही वे माँडलेमें छ: वर्षकी सजा
मारवाड़-जोधपुरके अधिपति जसवंतसिंहके। स्वर्गवासके बाद दिल्लीनरेश औरंगजेबने महारानीके पुत्र अजीतसिंहका उत्तराधिकार अस्वीकार कर दिया। उसने जसवंतसिंहके दीवान आशकरणके वीर पुत्र
संत बोनीफेसके जीवनकी एक सरस कथा है। उनका पालन-पोषण देवनके पहाड़ी वातावरणमें हुआ था। बचपनसे ही वे एकान्तमें निवास कर
‘मुझे शरण दीजिये, मैं दुर्भाग्यकी मारी एक दीनहीन अबला हूँ।’ एक स्त्रीने फिलस्तीनके महान् संत मरटिनियनसकी गुफाके सामने जोर-जोर से