परिश्रम गौरवकी वस्तु है
अमेरिकामें स्वातन्त्र्य-संग्रामके समय एक किलेबन्दी हो रही थी। कुछ सैनिकोंके द्वारा एक नायक उस कामको करा रहा था। सैनिक किलेकी
अमेरिकामें स्वातन्त्र्य-संग्रामके समय एक किलेबन्दी हो रही थी। कुछ सैनिकोंके द्वारा एक नायक उस कामको करा रहा था। सैनिक किलेकी
‘मन बड़ा चञ्चल होता है!’ श्रीनारायणदासजी बदरिकाश्रमसे मथुरा आये थे। वहाँ प्रभुके दर्शनार्थियोंका ताँता लगा रहता था। दर्शनार्थी अपने-अपने उपानह
रिश्तोंकी कमाई बात आठ-दस साल पहलेकी है। मैं अपने एक मित्रका पासपोर्ट बनवानेके लिये दिल्लीके पासपोर्ट ऑफिस गया था। उन
‘नरहरि ! भगवान् विट्ठलनाथने प्रसन्न हो मुझे पुत्र | दिया। मैं आज उन्हें रत्नजटित कमरपट्टा चढ़ाने आया हूँ। पंढरपुरमें सिवा
मनका प्रभाव होता है मनपर काशीके सम्राट् अजितसेनकी सवारी शहरके बीचसे निकल रही थी। हजारों लोग सम्राट्के दर्शन कर रहे
प्राचीन कालमें राजा सर्वमित्रके शासनकालमें महात्मा बुद्ध बोधिसत्त्व-शरीरमें थे। उन्होंने विनम्रता, उदारता, क्षमाशीलता और दान तथा सदाचारके बलपर शक्रपद प्राप्त
एक बड़ा दानी राजा था, उसका नाम था जानश्रुति । उसने इस आशयसे कि लोग सब जगह मेरा ही अन्न
सुप्रसिद्ध महान् देशभक्त क्रान्तिकारी तरुण वीर चन्द्रशेखर आजाद बड़े ही दृढ़प्रतिज्ञ थे। हर समय आपके गलेमें यज्ञोपवीत, जेबमें गीता और
बर्बरीक भीमसेनका पोता और उनके पुत्र घटोत्कचका पुत्र था। इसकी माता मौर्वी थी, जिसे शस्त्र, शास्त्र तथा बुद्धिद्वारा पराजितकर घटोत्कचने
एक बार देवर्षिके मनमें यह जाननेकी इच्छा हुई कि जगत्में सबसे महान् कौन है। उन्होंने सोचा कि चलूँ भगवान् के