।। श्रीहनुमद्रक्षास्तोत्रम् ।।
प्रणम्य श्रीगणेशं च श्रीरामं मारुतिं तथा।रक्षामिमां पठेत्प्राज्ञः श्रद्धाभक्ति समन्वितः।।१।। शिरो मे हनुमान् पातु भालं पवननन्दनः।आञ्जनेयो दृशौ पातु रामचन्द्रप्रियश्रुती।।२।। घ्राणं पातु
प्रणम्य श्रीगणेशं च श्रीरामं मारुतिं तथा।रक्षामिमां पठेत्प्राज्ञः श्रद्धाभक्ति समन्वितः।।१।। शिरो मे हनुमान् पातु भालं पवननन्दनः।आञ्जनेयो दृशौ पातु रामचन्द्रप्रियश्रुती।।२।। घ्राणं पातु
हिमालय कृत शिव स्तोत्र हिमालय द्वारा रचित भगवान शिव की महिमा में एक दिव्य राग है। हिमालय पर्वतों का मानवीकरण
उपहरणं विभवानां संहरणं सकलदुरितजालस्य।उद्धरणं संसाराच्चरणं वः श्रेयसेऽस्तु विश्वपतेः।। भिक्षुकोऽपि सकलेप्सितदाता प्रेतभूमिनिलयोऽपि पवित्र:।भूतमित्रमपि योऽभयसत्री तं विचित्रचरितं शिवमीडे।। अर्थ-समस्त ऐश्वर्यो को प्रदान
दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत
।। ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
।। ।। नित्यानंदकरी वराभयकरी सौंदर्य रत्नाकरीनिर्धूताखिल घोर पावनकरी प्रत्यक्ष माहेश्वरी।प्रालेयाचल वंश पावनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलंबनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।। नाना रत्न विचित्र भूषणकरि
राधानामपरमसुखदाई मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों
श्री क्या है श्री हरि स्तोत्र ? भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद द्वारा
रामरक्षा स्तोत्र भगवान श्रीराम की स्तुति है। इसमें भगवान राम की रक्षा पाने हेतु प्रार्थना की जाती है। इसके साथ,
हनुमानञ्जनासूनुर्वायुपुत्रो महाबल: ।रामेष्ट: फलगुनसख: पिङ्गाक्षोऽमितविक्रम: ॥ उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा ॥ एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन: ।स्वापकाले प्रबोधे च