रुद्रयामलतन्त्रोक्त कालिकाकवचम् ।।
इस कवच के पाठ से शत्रुओं का नाश, सभी प्राणिमात्र का वशीकरण अति ऐश्वर्य को प्रदत्त करनेवाला पुत्र पौत्रादि की
इस कवच के पाठ से शत्रुओं का नाश, सभी प्राणिमात्र का वशीकरण अति ऐश्वर्य को प्रदत्त करनेवाला पुत्र पौत्रादि की
।। ।। ॐ श्रीं नारायणेशायै मम कण्ठं सदावतु।ॐ श्रीं केशवकान्तायै मम स्कन्धं सदावतु।।६।। ॐ श्रीं पद्मनिवासिन्यै स्वाहा नाभिं सदावतु।ॐ ह्रीं
एकदा सुखमासीनं शङ्करं लोकशङ्करम्।पप्रच्छ गिरिजाकान्तं कर्पूरधवलं शिवम्।।१।। पार्वत्युवाच-भगवन् देवदेवेश लोकनाथ जगत्प्रभो।शोकाकुलानां लोकानां केन रक्षा भवेद्ध्रुवम्।।२।। सङ्ग्रामे सङ्कटे घोरे भूतप्रेतादिके भये।दुःखदावाग्निसन्तप्तचेतसां
अपने नवजात बच्चे को श्रीकृष्ण कवच के पाठ द्वारा सुरक्षित रखने का यह बहुत ही महत्वपूर्ण स्तोत्र है। गर्ग संहिता
इसी कवच के जप और गाय की पूंछ से झाड़ा देकर, यशोदाजी ने बालगोपाल स्वरूप श्रीकृष्ण भगवान की उस समय
श्रीगणेशाय नमः।ॐ अस्य श्रीसप्तमुखी वीर हनुमत्कवच स्तोत्रमन्त्रस्य नारदऋषिः अनुष्टुप्छन्दः श्रीसप्तमुखीकपिः परमात्मादेवता ह्रां बीजम् ह्रीं शक्तिः ह्रूं कीलकम् मम सर्वाभीष्ट सिद्ध्यर्थे
ॐ श्रीसमस्तजगन्मङ्गलात्मने नमः। श्रीदेव्युवाच शैवानि गाणपत्यानि शाक्तानि वैष्णवानि च। कवचानि च सौराणि यानि चान्यानि तानि च।।१।। श्रुतानि देवदेवेश त्वद्वक्त्रान्निःसृतानि च।