श्रीराधाचरितामृत
भाग- 11
(जब श्रीराधारानी को कंस मारने आया) ( साधको मुझ से कई लोगों ने पूछा है “श्रीराधा रानी श्रीकृष्ण से बड़ी
(जब श्रीराधारानी को कंस मारने आया) ( साधको मुझ से कई लोगों ने पूछा है “श्रीराधा रानी श्रीकृष्ण से बड़ी
( श्रीराधारानी का प्रथम प्रेमोन्माद ) जब तक तुम्हारा अन्तःकरण पिघलेगा नही तब तक आल्हादिनी का प्राकट्य कैसे होगा? याद
(प्यारी ही को रूप मानो प्यास ही को रूप है) बन्धन सुन्दर नहीं होते कुरूप ही होते हैंपर हे वज्रनाभ
(गोकुलवासी चले, वृन्दावन की ओर) श्रीराधारानी का संकल्प कैसे व्यर्थ जाता हे वज्रनाभ वृन्दावन की कुञ्जों में भ्रमण करते हुये
( देवर्षि नारद ने जब श्रीराधा के दर्शन किये) जाने दो ना “वेद” के मार्ग को क्यों बेकार में उस
( नामकरण संस्कार ) ब्रह्म की जो आराधना करे वो “राधा” नही नही “ब्रह्म जिसकीआराधना करे वो राधा“श्रीराधा प्रेम हैप्रेम
( जब आँखें नही खोलीं, श्रीराधारानी ने) “सिर्फ तू तेरा कोई विकल्प नही“सच है प्रेमी का क्या विकल्प ?प्रेम के
( श्रीराधारानी का प्राकट्य ) जय हो प्रेम की जय हो इस अनिर्वचनीय प्रेम की आहा जिसे पाकर सचमुच कुछ
भूमिका कल कल करती हुई कालिंदी बह रहीं थीं। घना कुँज था फूल खिले थे उसमे से निकलती मादक सुगन्ध
( बरसाने ते टीको आयो ) हे अनिरुद्ध नन्दन वज्रनाभ वास्तव में, इस पराभूत परिश्रान्त हृदय का विश्राम स्थल एक