रसोपासना – भाग-2
(चलहुँ चलहुँ चलिये निज देश… प्रियतम तो सच्चे “वही” हैं… उन्हीं प्रियतम की लगन में जो “खुदी” को जला दे…
(चलहुँ चलहुँ चलिये निज देश… प्रियतम तो सच्चे “वही” हैं… उन्हीं प्रियतम की लगन में जो “खुदी” को जला दे…
सखी ! ये रस की बातें हैं यह प्रेम को पन्थ है… रस को मारग कठोर है… तलवार की धारन
आज के विचार नही… नही… मुझ से नही लिखा जाएगा । गौरांगी ! मैं उस रस का वर्णन कैसे कर